खैरागढ़ (छत्तीसगढ़)। छत्तीसगढ़ का एक ऐसा गांव जहां आज भी विकास की रफ्तार नहीं पहुंची — ग्वालगुंडी। यह गांव खैरागढ़ जिले का अंतिम छोर है, जो मध्यप्रदेश की सीमा से मात्र 5 फीट की दूरी पर स्थित है। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण सच्चाई यह है कि वहां बिजली, पक्की सड़क और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं अब तक नहीं पहुंची हैं।
🌙 रात होते ही घुप्प अंधेरा
गांव में बिजली की व्यवस्था नहीं होने के कारण जैसे ही सूर्य अस्त होता है, ग्वालगुंडी अंधेरे में डूब जाता है। बच्चों की पढ़ाई से लेकर बुजुर्गों की सुरक्षा तक, सब कुछ प्रभावित हो रहा है।

🛣️ सड़क नहीं, सिर्फ पगडंडी
गांव तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क नहीं है, केवल कच्चे रास्ते और पगडंडियों से ही आवाजाही संभव है। बारिश में यह रास्ता और भी बदतर हो जाता है, जिससे गांव पूरी तरह कट जाता है।
💧 पानी के लिए संघर्ष
पानी की कोई स्थायी व्यवस्था नहीं है। गांववासी आज भी या तो कुओं पर निर्भर हैं या दूर-दराज के इलाकों से पानी लाते हैं।
🏡 5 फीट पर विकास, पर ग्वालगुंडी उपेक्षित
हैरानी की बात यह है कि गांव से केवल 5 फीट की दूरी पर स्थित मध्यप्रदेश का गांव पूरी तरह सुविधाओं से लैस है। वहां बिजली, पानी, सड़क और अन्य सरकारी योजनाएं लागू हैं। वहीं ग्वालगुंडी के लोग अब भी बुनियादी हकों के लिए तरस रहे हैं।
🗣️ ग्रामीणों की पुकार
गांववासियों का कहना है कि उन्होंने कई बार प्रशासन से गुहार लगाई, पर हर बार आश्वासन ही मिला, हकीकत नहीं बदली। अब वे चाहते हैं कि शासन-प्रशासन इस गांव को भी विकास की मुख्यधारा से जोड़े।
✊ क्या अब जागेगा प्रशासन?
ग्वालगुंडी की यह स्थिति यह सवाल खड़ा करती है कि क्या आज भी देश में ऐसे गांव हैं जो आज़ादी के 75 साल बाद भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं? अब देखना होगा कि प्रशासन इस गांव के भविष्य को लेकर कब ठोस कदम उठाता है।
