दुर्ग (छत्तीसगढ़)। छत्तीसगढ़ विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता कार्यक्रम करूणा से शहर में भीख मांग कर जीवन यापन करने वाले दो वृद्धों का आसरा मिला है। दोनों ही बीमारी की वजह से जिला अस्पताल में दाखिल थे। जहां से स्वस्थ होने का बाद उन्हें जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की पहल पर उनकी मर्जी से वृद्धाश्रम में दाखिल कराया गया।
बता दें कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अध्यक्ष व सत्र न्यायाधीश राजेश श्रीवास्तव के मार्गदर्शन और निर्देशन में जिले में निवास करने वाले वृद्धजनों के सम्मान में करुणा के नाम से एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। यह कार्यक्रम छत्तीसगढ़ विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर के निर्देशन पर छत्तीसगढ़ राज्य के समस्त जिलों में चल रहा है।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव राहुल शर्मा ने बताया कि दो बेसहारा वृद्ध साधु राम साहू (65 वर्ष) निवासी लिटिया सिमरिया तथा रविन्द्र मांझी (63 वर्ष) निवासी भागलपुर एक माह से जिला अस्पताल दुर्ग में दाखिल थे। बेसहारा होने की वजह से उन्हें 108 एंबुलेंस के माध्यम से भर्ती किया गया था। स्वास्थ होने पर 1 सितंबर को छुट्टी दिया गया। उपचार पूर्ण होने के उपरांत यह ज्ञात हुआ कि वृद्ध का इस दुनिया में कोई नहीं है तत्पश्चात उनका कोविड टेस्ट करा कर उन्हें पुलगांव स्थित वृद्धाश्रम में भर्ती कराया गया । वृद्ध जनों को उनकी मर्जी से वृद्धाश्रम में भर्ती कराया गया । वे कई साल से अस्वस्थ थे एवं भीख मांग कर अपनी रोजी रोटी किया करते थे । पैरालीगल वाॅलिटियर रामदेव गुप्ता एवं कॉन्स्टेबल कृपा राम ठाकुर के सहयोग से वरिष्ठ जनो को उपचार करा कर दवाई दिलवा कर वृद्धाश्रम में भर्ती कराया गया।
वृद्धजनों को भरण-पोषण का अधिकार देता है कानून
वरिष्ठ नागरिकों के लिए माता पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों भरण-पोषण कल्याण अधिनियम 2007 के तहत अपने संतान या परिवारजनों से भरण पोषण एवं रहन सहन की सुविधा प्राप्त कर सकते हैं तथा इसके लिए विधि अनुसार परिवार न्यायालय में प्रकरण भी दर्ज किये जा सकते हैं । प्रायः यह देखने में आता है कि संतान अपने माता-पिता के संम्पत्ति का उपभोग करते हैं किन्तु उनके भरण-पोषण के दायित्व से अपने को अलग कर देते हैं । माता पिता भी अपनी संतानों के इस कृत्य को आमजनों के सामने लाये जाने में संकोच करते हैं तथा अपने इज्जत एवं सामाजिक परिवेश को ध्यान में रखते हुए संतानों के द्वारा दी जा रही पीडा को सहन करते हैं। वृद्ध माता-पिता संतानों के द्वारा दिये गये पीडा को सहन करते हैं तथा मानसिक रूप से कमजोर होते जाते हैं । वृद्धजनों को अपने संतानों से भरण-पोषण पाने का अधिकार है जिसके लिए उन्हें सामने आना चाहिए । जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ऐसे वृद्धजनों के लिए भरण-पोषण की राशि संतानों से दिलाये जाने के लिए प्रबल रूप से खडा होकर उन्हें पूरी तरह से विधिक सहायता हेतु मदद करेगा तथा उन्हें निःशुल्क विधिक सहायता प्रदान करते हुए शासकीय व्यय पर पैनल अधिवक्ता भी उपलब्ध करायेगा।