दुर्ग (छत्तीसगढ़)। जिले में लॉकडाउन के 16 दिन बीत जाने के बाद भी कोरोना की संक्रमण दर पर लगाम नहीं लग पाई है। जिससे नागरिकों को कोरोना के कहर के साथ आर्थिक संकट का सामना भी करना पड़ रहा है। इन 16 दिनों में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कुल 28,337 कोरोना संक्रमित मरीज मिले। वहीं 323 कुल संक्रमित मरीजों की मौत हो गई है। मौतों के इस आंकड़े में आज 21 अप्रैल को एक नया रिकार्ड दर्ज किया गया है। आज कुल 31 संक्रमितों द्वारा दम तोड़े जाने की जानकारी दी गई है। जबकि 1659 नए संक्रमित मरीज मिलें है। हालांकि जिला प्रशासन लॉकडाउन से संक्रमण की दर में गिरावट आने का दावा लगातार करते आ रहा है, लेकिन आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं।
बता दें कि छत्तीसगढ़ में दुर्ग ऐसा पहला जिला बना है, जहां लॉकडाउन सबसे पहले लागू किया गया था। जिला कलेक्टर डॉ सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने 2 अप्रैल को आदेश जारी कर 6 अप्रैल से 14 अप्रैल तक के लिए पहले चरण के लॉकडाउन की घोषणा की गई थी। लॉकडाउन से ठीक पहले 4 अप्रैल को 995 संक्रमितों की पहचान हुई थी और 7 मरीजों की मौत हुई थी। 5 अप्रैल को 1169 संक्रमित मरीज मिले तो 6 की मौत हुई। जिसके बाद लॉकडाउन के पहले दिन 6 अप्रैल को 1838 संक्रमित मिले व 10 मरीजों की मौत हुई। इसके बाद लॉकडाउन की अवधि भी बढ़ती गई और ये आंकड़े भी लगातार बढते गए।
लॉकडाउन की इस 16 दिन की अवधि में सर्वाधिक संक्रमित मरीजों की संख्या 10 अप्रैल को दर्ज की गई। इस दिन 2272 संक्रमित मिलने के साथ 27 मौत दर्ज हुई। वहीं सबसे कम 1282 संक्रमित मिले, लेकिन 22 मरीजों ने अपनी जान गंवा दी। मरीजों की मौत की लगातार बढ़ती संख्या ने जिले की चिकित्सा व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा दिया है।
संक्रमण की लगातार बढ़ती संख्या के बीच जिले में पूर्ण लॉकडाउन लगाए जाने से व्यापारिक सहित अन्य सभी गतिविधियों पर रोक लगी हुई है। जिसका सर्वाधिक आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को सामना करना पड़ रहा है। निर्माण कार्यों पर रोक लगाए जाने से मजदूर वर्ग भी प्रभावित हुआ है। लॉकडाउन से जहां उनकी रोजी छिन गई। वहीं 16 दिन में ही आर्थिक तंगी के कारण इन परिवारों के समक्ष रोटी जुटाने की समस्या भी खड़ी हो गई है।