छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में एकल शिक्षक की समस्या गंभीर रूप लेती जा रही है। प्रदेश के 5840 स्कूलों में केवल एक शिक्षक के भरोसे पूरी शिक्षा व्यवस्था चल रही है। शिक्षक न केवल पढ़ाई बल्कि अन्य कई प्रशासनिक जिम्मेदारियां भी निभाते हैं। गरियाबंद जिले के कोकड़ी प्राथमिक शाला जैसे स्कूल इसका उदाहरण हैं, जहां एक ही शिक्षक प्राध्यापक से लेकर चपरासी तक की भूमिका निभाता है।
इस गंभीर स्थिति के चलते सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या लगातार घट रही है। अभिभावक अपने बच्चों को इन स्कूलों से निकालकर निजी स्कूलों में दाखिला दिलाने को मजबूर हैं। कांकेर जिले के नक्सल प्रभावित इलाकों में भी 172 स्कूल एकल शिक्षक के भरोसे हैं। विशेष रूप से कोयलीबेड़ा इलाके के स्कूलों में स्थिति चिंताजनक है, जहां एकल शिक्षक बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ मिड डे मील तैयार करने और प्रशासनिक कार्यों की जिम्मेदारी भी निभाते हैं।
शिक्षा विभाग की इस स्थिति पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे बच्चों के भविष्य पर नकारात्मक असर पड़ना स्वाभाविक है। एक शिक्षक पर अत्यधिक जिम्मेदारियों का बोझ बच्चों की पढ़ाई पर भी असर डाल रहा है, और यह शिक्षा व्यवस्था के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुका है।