नागपुर के बालासाहेब ठाकरे गोरवाड़ा इंटरनेशनल जूलॉजिकल पार्क में तीन बाघ और एक तेंदुए की मौत हो गई है। इनकी मौत का कारण हाईली पैथोजेनिक एवियन इंफ्लूएंजा (HPAI) H5N1 वायरस, जिसे आमतौर पर ‘बर्ड फ्लू’ बताया गया है।
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इन जानवरों को दिसंबर में चंद्रपुर से मानव-पशु संघर्ष के बाद जंगल से बचाया गया था। यह भारत में पहली बार है जब कैद में रखे गए वन्यजीवों में इस वायरस से मौत हुई है।
महाराष्ट्र में इस घटना के बाद अन्य चिड़ियाघरों के लिए रेड अलर्ट जारी किया गया है। सभी पशुओं के ट्रांसफर पर तत्काल रोक लगा दी गई है।
चिड़ियाघर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंद्रशेखरन बाला एन ने बताया कि मौतों के बाद नमूने आईसीएआर-राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान, भोपाल भेजे गए थे। चार बाघों और दो तेंदुओं के नमूने 1 जनवरी 2025 को प्राप्त हुए थे। इनमें से तीन बाघ और दो तेंदुए H5N1 वायरस से संक्रमित पाए गए। एक नर बाघ का परिणाम निगेटिव आया।
इस घटना के बाद वन्यजीव अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र (WRTC) ने चिड़ियाघरों, बचाव केंद्रों और ट्रांजिट ट्रीटमेंट सेंटर्स के लिए एक एडवाइजरी जारी की है। इसमें बायोसेक्योरिटी उपायों का पालन, पशुओं के स्वास्थ्य की नियमित निगरानी और मांस के स्रोत की जांच जैसे कदम शामिल हैं।
पशुपालन आयुक्त अभिजीत मित्रा ने 3 जनवरी को महाराष्ट्र सरकार के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर संक्रमित पशुओं को अलग-थलग रखने और चिड़ियाघरों को अस्थायी रूप से बंद करने का सुझाव दिया है।
इस स्थिति को देखते हुए पशु और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए जोखिम कम करने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है। “वन हेल्थ” दृष्टिकोण अपनाने की सिफारिश की गई है, जिसमें मानव स्वास्थ्य और वन्यजीव सेक्टर को मिलाकर समग्र समाधान खोजा जाएगा।