दुर्ग (छत्तीसगढ़)। प्रेम जाल में फंसाकर 18 वर्ष से कम आयु की किशोरी के साथ संबंध बनाना एक युवक को काफी भारी पड़ा है। युवक को अदालत ने अवयस्क युवती को उसके अभिभावकों की मर्जी के बिना साथ ले जाने और शारीरिक संबंध बनाने के आरोप में कुल 16 वर्ष के कारावास से दंडि़त किए जाने का फैसला सुनाया है। यह फैसला विशेष न्यायाधीश (पोस्को एक्ट) शुभ्रा पचौरी की अदालत में सुनाया गया है। अभियोजन पक्ष की ओर से अति. लोक अभियोजक कमल किशोर वर्मा ने पैरवी की थी।
मामला भिलाई नगर थाना क्षेत्र का है। अपने दादा-दादी के साथ रह रही 18 वर्ष से कम उम्र की किशोरी 27 मई 2014 की देर रात घर से लापता हो गई थी। जिसकी सूचना किशोरी के दादा द्वारा पुलिस को दी गई। सूचना के आधार पर पुलिस ने नाबालिग के गुम होने के मद्देनजर दफा 363, 366 के प्रक्रण पंजीबद्ध कर पतासाजी प्रारंभ की थी। किशोरी ने बरामदगी के बाद पुलिस को बताया कि भिलाई सेक्टर 1 निवासी अंकित रणनवरे (28 वर्ष) उसे जबरदस्ती मोटरसायकल पर बैठाकर रायपुर की ओर ले गया था, जहां उसके साथ एक घर में जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाए और दूसरे दिन सिविक सेंटर के पास छोड़कर भाग गया। पुलिस ने इस मामले में किशोरी का अपहरण करने और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए जाने का अपराध पंजीबद्ध कर प्रकरण को विचारण के लिए अदालत के समक्ष पेश किया गया था।
प्रकरण पर विचारण फास्ट टे्रक कोर्ट में किया गया। न्यायाधीश शुभ्रा पचौरी ने प्रपकरण पर विचारण पश्चात युवक को किशोरी के संरक्षकों की सहमति के बिना साथ ले जाने और अवयस्क होने की जानकारी होने के बाद भी शारीरिक संबंध बनाने का दोषी पाया। अभियुक्त अंकित रणनवरे को दफा 363, 366 के तहत 3-3 वर्ष कारावास व 500-500 रु. के अर्थदंड़ तथा बालकों का संरक्षण अधिनियम की धारा 4 के तहत 10 वर्ष के कारावास व 500 रु. के अर्थदंड से दंडि़त किए जाने का फैसला सुनाया है। सभी सजाएं साथ साथ चलेंगी।