दुर्ग (छत्तीसगढ़)। सरकारी समर्थन मूल्य पर अब तक आरबी कावेरी 828 धान को 1888 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से पतले के रूप में खरीदा जा रहा था। एफसीआई ने इसके चांवल का परीक्षण कराया जिसके परिणाम के आधार पर अब इस धान को मोटा की श्रेणी में शामिल कर दिया गया है। इस संबंध में धमतरी और बालोद में खाद्य विभाग द्वारा खरीदी करने वाले एजेंसियों को पत्र भी जारी किया गया है। जिसका पालन करते हुए मंगलवार से कावेरी 828 धान की खरीदी पतले के बजाय मोटे धान के रूप में किया जा रहा है। धान खरीदी के लगभग एक माह बाद इस परिवर्तित निर्णय के कारण कावेरी धान बेचने वाले किसानों को 20 रुपए प्रति क्विंटल का नुकसान उठाकर 1868 रुपए के भाव में बेचना पड़ रहा है। इस प्रकार किसानों को प्रति एकड़ 300 रुपए तक का नुकसान हो रहा है।
छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन के संयोजक राजकुमार गुप्ता ने इस पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि यदि ऐसा निर्णय लेना था तब धान खरीदी शुरू होने से पहले लिया जाना था। देर से निर्णय लेने के कारण अब तक सरकार को कावेरी धान बेच चुके किसानों को प्रति क्विंटल. 1888 रुपए के भाव से भुगतान मिल चुका है, लेकिन अब कावेरी धान बेचने वाले किसानों को प्रति क्विंटल 20 रुपए कम भाव का भुगतान लेना होगा। उन्होंने मांग किया है कि इस खरीफ सत्र में कावेरी धान की खरीदी पतले धान की श्रेणी में ही किया जाए।
मिलर्स को होगा फायदा
राजकुमार गुप्ता ने बताया कि कुछ खरीदी केंद्रों में कावेरी धान की खरीदी तो मोटे धान के रूप में की जा रही है, किंतु स्टेकिंग पतले धान के रूप में किया जा रहा है। एफसीआई में सिर्फ मोटे धान का चावल जमा लिया जाता है इसका फायदा उठाकर मिलर्स पतला धान का उठाव करेंगे और बदले में कम मूल्य का मोटा चावल एफसीआई में जमा करेंगे। पतले चावल को खुले बाजार में अधिक भाव में बेचकर अधिक मुनाफा अर्जित करेंगें।