कनाडाई कॉलेजों और भारतीय एजेंटों की मिलीभगत से मानव तस्करी का पर्दाफाश, ईडी ने जांच तेज की

नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कनाडाई कॉलेजों और भारतीय एजेंटों की कथित संलिप्तता को लेकर मनी लॉन्ड्रिंग और मानव तस्करी के मामले में जांच शुरू कर दी है। यह मामला जनवरी 2022 में गुजरात के डिंगुचा गांव की चार सदस्यीय भारतीय परिवार की मौत के बाद प्रकाश में आया, जो कनाडा-अमेरिका सीमा पार करने की कोशिश में ठंड से मर गए थे।

ईडी की जांच अहमदाबाद पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर से शुरू हुई, जिसमें मुख्य आरोपी भावेश अशोकभाई पटेल और उनके साथियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। आरोप है कि इन लोगों ने भारतीय नागरिकों को कनाडा के माध्यम से अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश कराने की साजिश रची।

जांच में खुलासा हुआ कि आरोपी कनाडाई कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा के बहाने छात्रों का दाखिला कराते थे। इन छात्रों को कनाडा में छात्र वीजा देकर भेजा जाता, लेकिन वे अपनी पढ़ाई छोड़कर अमेरिका-कनाडा सीमा पार करने की कोशिश करते थे।

कनाडाई कॉलेजों की भूमिका पर सवाल
ईडी ने पाया कि कई कनाडाई कॉलेजों ने छात्रों की ट्यूशन फीस वापस उनके खातों में जमा कर दी, जिससे मिलीभगत की आशंका बढ़ गई। इन सेवाओं के लिए भारतीय नागरिकों से 55-60 लाख रुपये प्रति व्यक्ति तक वसूले गए।

ईडी ने 10 और 19 दिसंबर को मुंबई, नागपुर, गांधीनगर और वडोदरा सहित आठ स्थानों पर छापेमारी की। छानबीन में दो कंपनियों की भूमिका सामने आई, जो भारतीय छात्रों को विदेशी विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए कमीशन पर काम करती थीं।

प्रमुख खुलासे और जब्ती

  • करीब 1,700 एजेंट गुजरात में और 3,500 अन्य राज्यों में सक्रिय पाए गए।
  • 112 कनाडाई कॉलेजों और 150 अन्य कॉलेजों के साथ अनुबंध उजागर हुए।
  • इन कॉलेजों में से कई कनाडा-अमेरिका सीमा के नजदीक स्थित हैं।
  • छापेमारी में 19 लाख रुपये, दो वाहन, दस्तावेज और डिजिटल सबूत जब्त किए गए।

ईडी अब इन कॉलेजों की भूमिका और उनकी सीमा के पास की भौगोलिक स्थिति की जांच कर रही है। इन कॉलेजों पर मानव तस्करी में शामिल होने का संदेह है।

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