लद्दाख: भारतीय सेना कई दशकों के अपने सबसे बड़े सैन्य भंडारण अभियान के तहत पूर्वी लद्दाख में ऊंचाई वाले क्षेत्रों में लगभग चार महीनों की भीषण सर्दियों के मद्देनजर टैंक, भारी हथियार, गोला-बारूद, ईंधन के साथ ही खाद्य और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में लगी हुयी है। सैन्य सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि शीर्ष कमांडरों के एक समूह के साथ थलसेना प्रमुख जनरल एम-एम नरवणे इस विशाल अभियान में निजी तौर से जुड़े हुए हैं। इसकी शुरूआत जुलाई के मध्य में हुयी थी और अब यह पूरा होने जा रहा है। सूत्रों ने कहा कि खासी संख्या में टी-90 और टी-72 टैंक, तोपों, अन्य सैन्य वाहनों को विभिन्न संवेदनशील इलाकों में पहुँचाया गया है। इस अभियान के तहत सेना ने 16, 000 फुट की ऊंचाई पर तैनात जवानों के लिए बड़ी मात्रा में कपड़े, टेंट, खाद्य सामग्री, संचार उपकरण, ईंधन, हीटर और अन्य वस्तुओं की भी ढुलाई की है।
लद्दाख में अपनी स्थिति मज़बूत करने के लिए भारतीय सेना नई बख्तरबंद गाड़ियों का परीक्षण कर रही है। पूर्वी लद्दाख के चुशूल, चुमुर जैसे इलाकों में पिछले एक महीने में सेना ने कई क़िस्म की गाड़ियों का परीक्षण किया है। इनके इस्तेमाल से सेना को जहाँ अपनी रफ़्तार बढ़ाने में मदद मिलेगी वहीं चीनी गोलाबारी से सैनिकों को बचाया भी जा सकेगा।
लद्दाख में मोर्चे पर भारतीय सेना ने बड़े पैमाने पर टैंकों और सेना द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली आर्मर्ड पर्सनल कैरियर यानी APC को तैनात किया है। इस इलाके के खुले मैदानों में इन दोनों के इस्तेमाल से बड़ी सैनिक कार्रवाइयाँ की जा सकती हैं। लेकिन सेना इनके अलावा उस तरह की बख्तरबंद गाड़ियों का भी परीक्षण लद्दाख के मैदानों में कर रही है जिनमें सैनिकों को सुरक्षित रखा जा सके और रफ़्तार से चला भी जा सके.
सूत्रों के मुताबिक दो निजी कंपनियों की बख्तरबंद गाड़ियों का परीक्षण इस समय लद्दाख में चल रहा है। ये गाड़ियाँ ट्रैक यानी टैंकों या एपीसी की तरह पट्टियों पर नहीं बल्कि पहियों पर चलने वाली हैं। लेकिन इन्हें मज़बूत बख्तर से सुरक्षित किया गया है और नीचे से किसी बारूदी सुरंग का इनपर कोई असर नहीं होगा। ये लद्दाख में ठंडे मौसम में जब तापमान शून्य से 40 डिग्री नीचे चला जाएगा तब कितनी कारगर होंगी इसका परीक्षण किया जा रहा है।