नयी दिल्ली। कोरोना संकट के चलते अप्रैल-जून तिमाही में भारत की जीडीपी में 23.9 फीसदी की गिरावट आई। इसके पीछे कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के चलते कारोबारी गतिविधियों का ठप्प होना। देश में अनलॉकडाउन शुरू हो गया है। कारोबार पटरी पर लौट रहा है। मगर इसका मतलब ये नहीं है कि जीडीपी बहुत जल्द कोरोना से पहले के स्तरों पर पहुँच जाएगी। असल में घरेलू रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने कहा है कि वित्त वर्ष 2020-21 में देश की जीडीपी ग्रोथ-11.8 फीसदी रह सकती है। इससे इंडिया रेटिंग्स ने जीडीपी ग्रोथ-5.3 फीसदी रहने का अंदाजा लगाया था।
आखिरी बार निगेटिव ग्रोथ 1979-80 में रही थी। तब जीडीपी में 5.2 फीसदी की गिरावट आई थी। एजेंसी के अनुसार वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में नकारात्मक 23.9 प्रतिशत की ग्रोथ तिमाही जीडीपी डेटा सीरीज में पहली गिरावट है, जिसे पब्लिक के सामने 1997-98 की पहली तिमाही से पेश किया जा रहा है। वित्त वर्ष 2020-21 में आर्थिक नुक़सान 18.44 लाख करोड़ रुपये रह सकता है। एजेंसी के अनुसार खुदरा और थोक महंगाई के वित्त वर्ष 2020-21 में क्रमश: 5.1 प्रतिशत और नकारात्मक 1.7 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।
गोल्डमैन साक्स ने भारत की आर्थिक वृद्धि के बारे में अपने पहले अनुमान में बड़ी कटौती करते हुये कहा कि 2020-21 में भारत की जीडीपी में 14.8 फीसदी की बड़ी गिरावट आयेगी। उसने इससे पहले 11.8 फीसदी गिरावट आने का अनुमान लगाया था। ताज़ा अनुमान चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े जारी होने के कुछ ही दिन बाद सामने आया है।