विकास दुबे एनकाउंटर, शीर्ष अदालत ने कहा यह केवल एक घटना नहीं है जो दांव पर है, पूरी व्यवस्था दांव पर है

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को विकास दुबे एनकाउंटर पर सुनवाई हुई। इस मामले में कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाली समिति से जांच कराने के निर्देश दिए हैं। मामले पर अगली सुनवाई बुधवार को होगी। सुनवाई कर रहे प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे ने इस पूरे मामले में उत्तर प्रदेश सरकार पर सवाल उठाते हुए इसे सिस्टम की विफलता बताया। सीजेआई ने कहा कि हैदराबादएनकाउंटर और विकास दुबे एनकाउंटर केस में एक बड़ा अंतर है। वे एक महिला के बलात्कारी और हत्यारे थे। वहीं दुबे और उसके सहयोगी पुलिस कर्मियों के हत्यारे थे। कोर्ट ने विकास दुबे पर संगीन अपराधों में नाम दर्ज होने के बाद भी जमानत दिए जाने को लेकर हैरानी भी जताई।
 सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यूपी सरकार की ओर से कहा कि सारे मुद्दों को अदालत के सामने रखा गया है। उन्होंने अदालत को बताया कि विकास दुबे के खिलाफ 65 एफआईआर दर्ज थी और वो पैरोल पर बाहर आया थाह इस पर सीजेआई ने कहा कि आप हमें मत बताइए कि विकास दुबे कौन था। तुषार मेहता ने सरकार का पक्ष रखते हुए मुठभेड़ को सही ठहराया। उन्होंने कहा कि वो पैरोल पर था और उसने हिरासत से भागने की कोशिश की थी.
यूपी डीजीपी का पक्ष रखते हुए हरीश साल्वे ने कहा कि यह मामला तेलंगाना मुठभेड़ से कई मामलों में  अलग है। पुलिसकर्मियों को भी मौलिक अधिकार है। क्या पुलिस पर अत्यधिक बल का आरोप लगाया जा सकता है, जब वह एक खूंखार अपराधी के साथ लाइव मुठभेड़ में लगी हो?
सीजेआई बोबडे ने कहा कि विकास दुबे के खिलाफ मुकदमों के बारे में बताएं। आपने अपने जवाब में कहा है कि तेलंगाना में हुई मुठभेड़ और इसमें अंतर है लेकिन आप कानून के राज को लेकर ज़रूर सतर्क होंगे। सीजेआई ने विकास दुबे को मिली जमानत पर भी हैरानी जताई। सीजेआई ने कहा कि हमें इस बात से हैरानी है कि इतने आपराधिक मामले सिर पर दर्ज होने वाला व्यक्ति जमानत पर रिहा था और उसने आखिरकार ऐसा कर दिया। हमें सभी आदेशों की एक सटीक रिपोर्ट दें। यह सिस्टम की विफलता को दर्शाता है। सुप्रीम कोर्ट ने विकास दुबे को जमानत संबंधी सारे आदेश मांगे हैं.
सीजेआई ने यूपी सरकार से कहा कि राज्य सरकार के रूप में वो कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार हैं और इसके लिए एक ट्रायल होना चाहिए था। उन्होंने कहा कि कोर्ट सरकार द्वारा बनाई गई समिति में एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट जज और एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी को जोड़ना चाहता है। इसे लेकर कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा कि क्या वो सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग नियुक्त करने के लिए तैयार है? यूपी सरकार समिति के पुनर्गठन के लिए सहमत हो गई है। जिसके बाद विकास दुबे के एनकाउन्टर की जांच अब सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में गठित कमिटी करेगी। सीजेआई ने कहा कि इस जांच से कानून का शासन मजबूत ही होगा और पुलिस का मनोबल नहीं टूटेगा। यह केवल एक घटना नहीं है जो दांव पर है। पूरी व्यवस्था दांव पर है।

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