हाइकोर्ट ने 11 साल बाद खारिज की रिट पिटिशन, सीईओ ने की पंचायत सचिव की सेवाएं समाप्त

दुर्ग (छत्तीगढ़)। पंचायत राज अधिनियिम के तहत त्रृटिपूर्ण नियुक्ति के चलते सचिव की सेवाएं समाप्त किए जाने का मामला हाइकोर्ट में 11 साल तक लंबित रहा। 11 साल बाद प्रभावित द्वारा इस मामले की दाखिल रिट पिटिशन को उच्च न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया। जिसके बाद पंचायत सचिव की सेवाए समाप्त किए जाने का आदेश जिला पंचायत सीईओ द्वारा जारी किया गया है। सेवा मुक्त पंचायत सचिव वर्तमान में ग्राम पंचायत करेला में पदस्थ था।
मामला पाटन जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत कौही से संबंधित है। कौही ग्राम पंचायत द्वारा वर्ष 2004-05 में पंचायत सचिव पद पर विष्णु प्रसाद चंद्राकर की भर्ती की गई थी। उस दौरान ग्राम पंचायतों को पंचायत सचिव पद पर नियुक्ति का अधिकार पंचायती राज अधिनियम के तहत प्राप्त था। शर्त थी कि नियुक्त व्यक्ति का कोई भी नाते रिश्तेदार ग्राम पंचायत में पदाधिकारी न हो। इस नियम की विष्णु प्रसाद चंद्राकर की नियुक्ति के समय अनदेखी किए जाने का आरोप लगाया गया था। बताया गया था कि नियुक्ति प्रदान किए जाने के समय विष्णु का भाई क्षेत्र में पंच के पद पर था और नियुक्ति के लिए पंचायत की बैठक में भी वह शामिल था। इस मुद्दे को लेकर उमेश चंद्राकर द्वारा नियुक्ति के खिलाफ संचालक पंचायत न्यायालय में अपील की गई थी। अपील का निराकरण करते हुए न्यायालय ने 12 दिसंबर 2007 को इस नियुक्ति प्रक्रिया को दोषपूर्ण पाया और ग्राम पंचायत द्वारा सचिव पद की नियुक्ति पर लिए गए निर्णय को अपास्त कर दिया था। संचालक पंचायत न्यायालय के इस निर्णय को चुनौती देते हुए वर्ष 2008 में हाइकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। दाखिल इस याचिका को हाइकोर्ट द्वारा 24 अक्टूबर 2019 को खारिज कर दिया गया है। उच्च न्यायालय द्वारा रिट पिटिशन खारिज किए जाने के बाद संचालक पंचायत न्यायालय द्वारा पूर्व में पारित आदेश के तहत पंचायत सचिव विष्णु प्रसाद चंद्राकर की सेवाएं तत्काल प्रभाव से जिला पंचायत सीईओ द्वारा समाप्त किए जाने का आदेश जारी कर दिया गया है।