नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि किसानों के सुझाव और मांगों के लिए उसके दरवाजे हमेशा खुले हैं। यह बयान तब आया जब आंदोलनरत किसानों ने कोर्ट द्वारा नियुक्त उच्च स्तरीय समिति से बातचीत करने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की खंडपीठ ने कहा, “हम स्पष्ट करते हैं कि अदालत के दरवाजे किसानों के किसी भी सुझाव या मांग के लिए सीधे या उनके अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से हमेशा खुले हैं।”
पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह ने अदालत को बताया कि किसानों ने 17 दिसंबर को बातचीत के लिए समिति के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया है। उन्होंने सुझाव दिया कि किसानों को अपनी मांगें सीधे कोर्ट में प्रस्तुत करने की अनुमति दी जाए।खंडपीठ ने किसान नेता बलदेव सिंह दल्लेवाल के स्वास्थ्य पर गंभीर चिंता जताई और पंजाब सरकार को तुरंत चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा, “उनका स्वास्थ्य सुनिश्चित करना प्राथमिकता होनी चाहिए। वह स्वस्थ रहेंगे, तभी आंदोलन कर पाएंगे। राज्य सरकार यह सुनिश्चित करे कि डॉक्टरों की सलाह के अनुसार तुरंत चिकित्सा सहायता प्रदान की जाए।”
दल्लेवाल ने चिकित्सा जांच कराने से किया इनकार
महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि 13 दिसंबर के आदेश के बाद वरिष्ठ अधिकारियों ने दल्लेवाल से मुलाकात की और विस्तृत चर्चा की, लेकिन उन्होंने चिकित्सा जांच कराने से इनकार कर दिया। हालांकि, उनकी सेहत सामान्य है, केवल यूरिक एसिड का स्तर बढ़ा हुआ है। डॉक्टरों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की सलाह दी है।
हरियाणा सरकार की याचिका पर सुनवाई
यह सुनवाई हरियाणा सरकार की उस याचिका के संदर्भ में हुई, जिसमें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के 10 जुलाई के आदेश को चुनौती दी गई थी। इस आदेश में शंभू बॉर्डर को परीक्षण के आधार पर खोलने का निर्देश दिया गया था ताकि आम जनता को हो रही असुविधा दूर की जा सके।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी कहा कि मौजूदा स्थिति में दल्लेवाल को चिकित्सा सहायता प्रदान करना सबसे जरूरी है। खंडपीठ ने कहा, “स्थिति गंभीर है। पूरा राज्य तंत्र दोषी ठहराया जाएगा, अगर कुछ अनहोनी हुई।”