बीमा कंपनी ने दावा भुगतान करने से किया इंकार, स्थायी लोक अदालत का आदेश 30 दिन की अवधि में करे भुगतान

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। बैंक से लिए गए लोन के ऐवज में कराए गए बीमा का दावा भुगतान को कंपनी द्वारा निरस्त किए जाने के मामले में स्थायी लोक अदालत द्वारा आदेश पारित किया गया है। लोक अदालत द्वारा बीमा कंपनी को निमित द्वारा दावा की गई बीमा भुगतान राशि को मानसिक क्षतिपूर्ति राशि सहित अदा करने का निर्देश दिया है। यह आदेश स्थायी लोक अदालत अध्यक्ष ए. आर. ढिडही द्वारा मंगलवार को पारित किया गया है।

मामले के अनुसार भिलाई सेक्टर 5 निवासी पल्लव कुमार द्वारा बैंक आफ बड़ौदा की सिविक सेंटर भिलाई शाखा से 6 लाख 90 हजार रुपये का लोन लिया गया था। लोन के ऐवज में बैंक के माध्यम से मुंबई की फर्स्ट लाइफ इंश्योरेंस से जीवन सुरक्षा और दुर्घटना बीमा पॉलिसी ली गई थी। इसी दरम्यान 17 अप्रैल 2023 को पल्लव कुमार की उपचार के दौरान भिलाई नेहरू चिकित्सालय में मृत्यु हो गई थी।

मृत्यु के पश्चात बीमा धारक पल्लव की पत्नी शिप्रा बर्मन राय (48 वर्ष) द्वारा बतौर नामिनी बीमा कंपनी के समक्ष 4 लाख रुपए का बीमा भुगतान दावा पेश किया गया था। इस भुगतान दावा को निरस्त कर दिए जाने की जानकारी 31 अगस्त 2023 को कंपनी द्वारा नामित शिप्रा को दी गई। जिसके विरोध में शिप्रा द्वारा स्थायी लोक अदालत के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया गया था।

इस भुगतान दावा को निरस्त किए जाने के संबंध में बीमा कंपनी ने स्थायी लोक अदालत के समक्ष अपना पक्ष रखा कि बीमा धारक पल्लव कुमार विभिन्न बीमारियों से पीड़ित थे। बीमा पॉलिसी लिए जाने के दौरान उन्होंने इन बीमारियों के संबंध में जानकारी कंपनी नहीं दी गई थी। इसलिए मृत्यु पश्चात पॉलिसी प्रावधानों के अनुसार बीमा राशि भुगतान दावा अमान्य किया गया। स्थायी लोक अदालत अध्यक्ष ने बीमा कंपनी के तर्क को अस्वीकार करते हुए नामित को बीमा दावा राशि का भुगतान मानसिक क्षतिपूर्ति के साथ करने का आदेश दिया।

स्थायी लोक अदालत अध्यक्ष ए. आर. ढिडही ने बीमा कंपनी को बीमा भुगतान दावा राशि 4 लाख रुपए तथा 10 हजार रुपए बतौर मानसिक क्षतिपूर्ति 30 दिनों की अवधि में प्रदान करने का आदेश दिया है। साथ ही बीमा राशि पर आवेदिका द्वारा किए गए आवेदन की तिथि से 6 प्रतिशत ब्याज भी प्रदान किए जाने का निर्देश दिया है।