नई दिल्ली। ग्लोबल अर्थव्यवस्था पर मंदी का खतरा मंडरा रहा है। दुनिया के बड़े अर्थशास्त्रियों की ओर से इस बात की लगातार आंशका जताई जा रही है। इसने दुनिया की बड़ी कंपनियों को चिंता में डाल दिया है जिस कारण बड़ी कंपनियां अर्थिक बोझ कम करने के लिए छंटनी का सहारा ले रही हैं। छंटनी करने वाली कंपनियों में मांइक्रोसॉफ्ट, ट्विटर, मेटा, गूगल जैसी बड़ी कंपनियों का नाम शामिल हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब तक बड़ी टेक कंपनियों की ओर से 1.50 लाख कर्मचारी निकाले जा चुके हैं।2023 में जारी छंटनी का दौर: टेक सेक्टर से छंटनी की शुरुआत एलन मस्क की ओर से ट्विटर के अधिग्रहण के बाद नवंबर में हुई थी। इस दौरान ट्विटर की ओर से करीब 3,700 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला गया था। वहीं, अब तक अमेजन 18,000, गूगल 12,000, मेटा 11,000, माइक्रोसॉफ्ट, एचपी 6,000 और सेल्सफोर्स 8,000 कर्मचारियों की छंटनी कर चुके हैं।
छंटनी का कारण:
कंपनियों की ओर से लगातार की जा रही छंटनी के पीछे जानकारों द्वारा कई कारण बताए जा रहे हैं।कमजोर मांग: महंगाई बढ़ने के कारण लोगों के पास पहले के मुकाबले खर्च करने के लिए कम पैसा बचा है। इस कारण लोग काफी संभलकर खर्च कर रहे हैं और मांग में कमी देखने को मिल रही है। 2022 में यूके, यूएस, जापान और यूरोप में महंगाई कई सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी।ब्याज दरों में बढ़ोतरी
महंगाई को कम करने के लिए दुनिया के केंद्रीय बैंकों की ओर से ब्याज दरों में इजाफा किया गया था। इस कारण ब्याज दरें काफी बढ़ रही हैं। कंपनियों पर लोन का बोझ पहले के मुकाबले काफी अधिक बढ़ गया है।निवेशकों का दबाव: कंपनियों की ओर से कर्मचारियों को नौकरी से निकालने से बड़ा कारण निवेशकों का दबाव है। रॉयटर्स के मुताबिक, गूगल की ओर से छंटनी का बड़ा कारण निवेशकों दबाव ही था। इस कारण कंपनी को लागत कम करने के लिए कई प्रोजेक्ट्स को भी बंद कर दिया गया है।