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15 साल तक वादा खिलाफी करने वाले डॉ. रमन सिंह किसान हितैषी होने का न रचें स्वांग : राजेन्द्र साहू

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। कृषि विधेयक को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के बयान पर कांग्रेस ने घेरते हुए कहा है कि आखिर वे किस मुंह से इसे किसान हितैषी बता रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री राजेंद्र साहू ने बयान जारी करते हुए कहा कि कृषि विधेयक किसानों को गर्त में ले जाने वाला विधेयक है। डॉ. रमन सिंह द्वारा इस विधेयक को किसान हितैषी बताना समझ से परे हैं।
राजेंद्र ने कहा कि रमन सिंह को याद रखना चाहिए कि उनके कार्यकाल में छत्तीसगढ़ के किसान कर्ज में डूबे थे। प्रदेश के किसान लगातार आत्महत्या कर रहे थे। अपनी जायज मांगों को लेकर किसानों द्वारा किए गए आंदोलन को दबाने का प्रयास किया गया। 15 साल के शासनकाल में रमन सरकार को किसानों की आवाज नहीं सुनाई दी। किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने की दिशा में कोई भी प्रयास नहीं हुआ।
राजेंद्र ने कहा कि पूर्ववर्ती डॉ रमन सिंह की सरकार ने किसानों से किया कोई भी वादा पूरा नहीं किया। किसानों को वायदे के अनुसार 21 सौ रुपए प्रति क्विंटल का समर्थन मूल्य नहीं दिया। वायदे के अनुसार 3 सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर से बोनस भी नहीं दिया गया। किसानों को नकली खाद और घटिया बीज की सप्लाई की गई। रतनजोत के बीज से डीजल बनाने की बात कह कर किसानों के साथ धोखा किया गया। धान घोटाला, नान घोटाला सहित कई घोटाले किए गए, जिसे प्रदेश की जनता भली भांति जानती है।
राजेंद्र ने कहा कि कृषि विधेयक को लेकर किए जा रहे दावे और बयानबाजी बिल्कुल वैसे ही हैं, जैसे हर नागरिक के खाते में 15 लाख रुपए, 2 करोड़ लोगों को हर साल रोजगार और महंगाई कम करने के वादे किए गए थे। सारे दावे गलत साबित हुए। इसी तरह धरातल में कृषि विधेयक का हाल भी वैसा ही होगा जैसा जीएसटी, नोटबंदी का हुआ। मोदी सरकार के इन फैसलों से आम जनता को सिर्फ नुकसान हुआ। भविष्य में कृषि विधेयक से भी किसानों और आम जनता को नुकसान ही होगा।
राजेंद्र ने रमन सिंह से कहा है कि अगर वे वास्तव में किसानों का हित चाहते हैं, तो पूरे देश में किसानों को गेहूं और धान का समर्थन मूल्य 2500 रुपए प्रति क्विंटल करने एक प्रतिनिधिमंडल के साथ केंद्र सरकार से बात करें। सहकारी समिति के माध्यम से किसानों का अनाज को खरीदने की व्यवस्था हो और केंद्र सरकार किसानों का अनाज खरीदे। सरकार व्यवसाइयों से एग्रीमेंट करे। कार्पोरेट जगत और किसानों के बीच एग्रीमेंट न कराया जाए।