जेसीआई दुर्ग-भिलाई ने बच्चों के लिए किया एजुकेशनल सेमिनार “सांड की आंख” का आयोजन

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। जैसे-जैसे भारत में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, वैस-वैसे लोगों की चिंताएं भी बढ़ती जा रही है। ये चिंताएं आर्थिक, पारिवारिक व व्यापार तथा स्वास्थ्य से संबंधित तो हैं ही साथ ही कुछ सवाल हमारे बच्चों के कैरियर के संबंध में भी उठ खड़े हुए हैं। जैसे स्कूल कॉलेज आदि कब खुलेंगे, नया सत्र किस प्रकार का होगा, बच्चे पढ़ाई के नए ऑनलाइन तरीकों को आत्मसात कर पाएंगे या नहीं। इन सभी सवालों के जवाब के रूप में तथा बच्चों व पालकों को सही दिशा निर्देश देने हेतु जेसीआई दुर्ग भिलाई ने लक्ष्य निर्धारण पर “सांड की आंख” नामक एक कार्यशाला आयोजित की जिसमे मुख्य वक्ता के रूप में संस्था के पूर्वाध्यक्ष प्रणय माहेश्वरी ने अपने विचार व्यक्त किये तथा बच्चों को जीवन मे लक्ष्य बना कर आगे बढ़ने हेतु प्रोत्साहित किया। प्रणय शाह ने बताया कि कार्यशाला के मुख्य वक्ता संस्था के पूर्व अध्यक्ष प्रणय माहेश्वरी जी थे जो जेसीआई इंडिया तथा माहेश्वरी समाज के जाने माने जोन ट्रेनर तथा लाइफ कोच भी हैं। इस कार्यशाला को ऑनलाइन प्लेटफार्म पर सुचारू रूप से चलाने में योगेश राठी व हिमांशु देवांगन का पूरा सहयोग मिला। 
लक्ष्य निर्धारण के महत्व को बताते हुए माहेश्वरी ने बताया कि केवल आपकी इच्छाशक्ति ही आपको शिखर तक पहुँचा सकती है। इससे कोई फर्क नही पड़ता कि आप अमीर हैं या गरीब, श्याम हैं या श्वेत, या आपकी पारिवारिक पृष्ठभूमि क्या है। सिर्फ आपकी आगे बढ़ने की इच्छाशक्ति ही आपको शून्य से शिखर तक पहुँचाती है तथा आपको औरों से अलग पहचान देती है। उन्होंने लक्ष्य निर्धारण को चार भागों में बताया है। सर्वप्रथम आप यह तय करें कि आप जीवन मे क्या करना चाहते हैं। फिर वहां जाने के लिए अपना प्लान ऑफ एक्शन तैयार करने की सलाह दी जिसमे हम अपने बड़ों तथा शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।  इसके पष्चात लक्ष्य प्राप्ति की राह पर आने वाले अवसरों तथा रुकावटों का आंकलन करें और आखिर में अपने सारे ज्ञान व गुणों की सहायता से उन लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु जुट जाएं अर्थात एक्शन में आ जाएं। माहेश्वरी ने सभी बातों को उदाहरण के साथ समझाया ताकि बच्चे अपनेआप को लक्ष्य निर्धारण की उक्त प्रक्रिया से सहजता से जोड़ पाएं।
संस्था के सचिव शरद गर्ग ने बताया कि 90 मिनट चली इस कार्यशाला का सभी ने लाभ लिया तथा अंत मे सवाल-जवाब का एक सत्र भी चला जिसमे माहेश्वरी ने सभी की जिज्ञासाओं का समाधान किया।

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