जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में ढ़ाई वर्ष पूर्व बोर्ड ऑफ डायरेक्टर द्वारा सीईओ पद पर की गई नियुक्ति को शीर्ष अदालत ने अवैधानिरक करार दिया है। अदालत ने पूर्व में उच्च न्यायालय की डबल बैंच द्वारा दिए गए फैसले को खारिज कर दिया है। उच्च न्यायालय के इस फैसले में बैंक के संचालक मंडल द्वारा सीईओ पद पर की गई नियुक्ति को वैध करार दिया गया था।
दुर्ग (छत्तीसगढ़)। मामला दुर्ग में संचालित जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में सीईओ पद पर नियुक्ति को लेकर जारी विवाद का है। जिला सहकारी बैंक के तत्कालीन सीईओ व्ही.के. गुप्ता के ईओडब्लू की गिरफ्त में आने के बाद रिक्त हुए पद पर चेयरपर्सन प्रीतपाल बेलचंदन द्वारा 10 अगस्त 2017 को लेखाधिकारी एस.के. निवसकर को बैंक का सीईओ नियुक्त कर दिया गया था। इस नियुक्ति पर संचालक मंडल की सहमति भी ले ली गई थी। संचालक मंडल द्वारा सीईओ पद पर की गई इस नियुक्ति को अमान्य करते हुए छग राज्य सहकारी बैंक महाप्रबंधक द्वारा एस.के. जोशी की नियुक्ति सीईओ पद पर की गई थी। जिस पर आपत्ति करते हुए इस निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौति दी गई थी। उच्च न्यायालय की सिंगल बेंच ने 19 जनवरी 2018 को दिए गए अपने फैसले में संचालक मंडल द्वारा की गई नियुक्ति को अवैधानिक करार दिया गया था। जिस पर की गई अपील की सुनवाई पश्चात डिविजन बेंच ने सिंगल बेंच के निर्णय को बदलते हुए संचालक मंडल द्वारा लिए गए निर्णय को विधि सम्मत माना था।
उच्च न्यायालय की डिविजन बेंच के इस फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील की गई थी। जिस पर सुनवाई न्यायमूर्ति डॉ. धनंजय वाय. चंद्रचूर्ण व अजय रस्तोगी की संयुक्त खंडपीठ में की गई। खंडपीठ ने एसके जोशी के पक्ष में निर्णय देते हुए सिंगल बेंच हाईकोर्ट छत्तीसगढ़ के दिए गए फैसले को सही ठहराया है।
केवल तीन माह रहे जोशी सीईओ
पदभार बिना लौटाए जाने के बाद जोशी ने संचालक मंडल की नियुक्ति को चैलेंज करते हुए हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। उन्होंने निवसरकर की पदस्थापना को अवैध करार देते हुए मामले में फैसला तक नियुक्त पर रोक लगाने की मांग की थी। इस पर कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर नियुक्ति पर स्टे आर्डर जारी किया। इसके बाद जोशी ने 5 मई 2017 को पदभार ग्रहण किया था। जोशी केवल 3 माह सीईओ रहे।