रायपुर (छत्तीसगढ़), 1 मई: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने गुरुवार को खुलासा किया कि बस्तर क्षेत्र के नक्सल हिंसा पीड़ितों ने उनसे मुलाकात कर ‘मिशन संकल्प’ नामक चल रहे बड़े पैमाने के एंटी-नक्सल ऑपरेशन को जारी रखने की अपील की है। यह अभियान छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर स्थित कर्रगुट्टा और दुर्गमगुट्टा की पहाड़ियों में 11वें दिन में प्रवेश कर चुका है।
सीएम साय ने कहा, “सुकमा, बीजापुर और कांकेर जिलों के नक्सल पीड़ित – जिनमें से कई ने अपने हाथ-पैर या दृष्टि खो दी है – रायपुर आकर मुझसे मिले और अभियान को जारी रखने की मांग की। उन्होंने एक आवेदन के माध्यम से बताया कि दिल्ली तक की कुछ संस्थाएं इस अभियान को रोकने का प्रयास कर रही हैं।”

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि जो लोग ऑपरेशन रोकने की मांग कर रहे हैं, उन्होंने कभी पीड़ितों की पीड़ा को नज़दीक से देखा ही नहीं।
मिशन संकल्प की मुख्य बातें:
- 21 अप्रैल से चल रहा ऑपरेशन
- 24,000 से अधिक जवान तैनात, जिनमें डीआरजी, बस्तर फाइटर्स, एसटीएफ, सीआरपीएफ और कोबरा बटालियन शामिल
- ऑपरेशन क्षेत्र: 800 वर्ग किलोमीटर में फैला दुर्गम जंगल और पहाड़ी इलाका
- लक्ष्य: PLGA बटालियन नंबर 1, तेलंगाना राज्य समिति, और दंडकारण्य विशेष क्षेत्रीय समिति के नक्सलियों का सफाया
एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “महज़ हथियार या नक्सलियों की संख्या पर नहीं, बल्कि पूरे इलाके को नक्सली प्रभाव से मुक्त करना ही असली जीत है।”
24 अप्रैल को कर्रगुट्टा की पहाड़ियों में तीन महिला नक्सलियों को मुठभेड़ में मार गिराया गया, वहीं भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक भी जब्त किए गए।
वायरल वीडियो में देखा गया कि भारतीय जवानों ने कर्रगुट्टा पहाड़ी की चोटी पर तिरंगा लहराया। हालाँकि अधिकारी कहते हैं कि “अभी 50% भी ऑपरेशन पूरा नहीं हुआ है, असली चुनौती अब भी बाकी है।”
तेलंगाना की प्रतिक्रिया:
पूर्व सीएम के. चंद्रशेखर राव ने केंद्र से ऑपरेशन को रोकने की मांग की, जबकि कई बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सीएम रेवंत रेड्डी से शांति वार्ता की पहल करने को कहा।
हालात तनावपूर्ण हैं, लेकिन राज्य सरकार और सुरक्षा बल इस बार नक्सलवाद की जड़ें उखाड़ने के लिए पूरी तैयारी में हैं।
