भटकाव से बदलाव की ओर: नक्सली छोड़ खेती-किसानी सीख रहे युवा, सुकमा में उम्मीद की फसलें उगने लगीं

रायपुर, 01/05/2025: छत्तीसगढ़ सरकार की नई “नक्सलवादी आत्मसमर्पण राहत एवं पुनर्वास नीति 2025” अब भटके हुए युवाओं को नया जीवन दे रही है। जहां कभी बंदूकें थीं, अब वहां कृषि और पशुपालन की तकनीकें हैं। सुकमा जिले में 20 आत्मसमर्पित युवाओं को कृषि विज्ञान केंद्र में तीन माह का विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे वे आत्मनिर्भर बनकर समाज की मुख्यधारा में लौट सकें।

इस प्रशिक्षण में ड्रिप इरिगेशन, वर्मी कम्पोस्ट, जैविक खेती, डेयरी, मत्स्य पालन और मुर्गी पालन जैसी व्यावसायिक तकनीकों को शामिल किया गया है। आरसेटी (RSETI) के माध्यम से हो रहे इस कार्यक्रम में वित्तीय साक्षरता और लघु उद्यमिता पर भी फोकस किया जा रहा है, ताकि ये युवा भविष्य में अपने व्यवसाय खुद खड़ा कर सकें।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने इस पहल को सिर्फ आत्मसमर्पण नहीं, बल्कि नवजीवन देने का संकल्प बताया। उन्होंने कहा,
“हमारा प्रयास है कि जो युवा कभी भटक गए थे, उन्हें न सिर्फ मुख्यधारा में लाएं, बल्कि ऐसा जीवन दें जिससे वे समाज के लिए प्रेरणा बनें।”

सुकमा कलेक्टर श्री देवेश कुमार ध्रुव ने इसे केवल पुनर्वास नहीं, बल्कि स्थायी आजीविका का मॉडल बताया। वहीं, लाइवलीहुड कॉलेज की नोडल अधिकारी सुश्री मधु तेता ने जानकारी दी कि प्रशिक्षण के बाद इन युवाओं को सिलाई और मोटर ड्राइविंग जैसे कोर्सों से भी जोड़ा जाएगा, ताकि उनके पास विकल्पों की पूरी टोकरी हो।

यह योजना नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति और विकास की नई इबारत लिख रही है। बंदूक छोड़कर कुदाल थामे ये युवा अब खेतों में उम्मीद बो रहे हैं और समाज को दिखा रहे हैं कि परिवर्तन संभव है, बशर्ते अवसर मिले।

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