भारतमाला प्रोजेक्ट में 220 करोड़ के घोटाले का पर्दाफाश, EOW ने 4 आरोपियों को किया गिरफ्तार

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत भूमि अधिग्रहण में हुए बड़े घोटाले में आर्थिक अपराध अन्वेषण विभाग (EOW) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 4 आरोपियों – हरमीत खनूजा, उमा तिवारी, केदार तिवारी और विजय जैन को गिरफ्तार किया है।

गिरफ्तार किए गए आरोपियों को शनिवार को ACB/EOW की विशेष कोर्ट में पेश किया गया, जहां कोर्ट ने सभी को 6 दिन की पुलिस रिमांड पर भेजने का आदेश दिया। इससे पहले 25 अप्रैल को रायपुर, दुर्ग-भिलाई, बिलासपुर, नया रायपुर और अभनपुर सहित कई स्थानों पर 16 ठिकानों पर छापेमारी की गई थी। छापों के दौरान महत्वपूर्ण दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए गए हैं, जो घोटाले की परतें खोल सकते हैं।

220 करोड़ का घोटाला:
शुरुआती जांच में 43 करोड़ रुपए के गबन की बात सामने आई थी, लेकिन विस्तृत जांच में घोटाले की रकम 220 करोड़ रुपये से ज्यादा तक पहुंचने की संभावना जताई गई है। अब तक 164 करोड़ के संदिग्ध लेन-देन के रिकॉर्ड भी मिल चुके हैं।

फर्जी मुआवजा घोटाला:
आरोप है कि सरकारी अधिकारियों, भू-माफियाओं और दलालों ने मिलकर फर्जी दस्तावेजों के जरिए एक ही भूमि पर 6-6 अलग-अलग लोगों के नाम पर मुआवजा निकलवाया और करोड़ों रुपए का गबन किया।

बचाव पक्ष का तर्क:
आरोपियों के वकील शाहिद सिद्दीकी ने रिमांड का विरोध करते हुए कहा कि यह मामला राजनीतिक रूप से प्रेरित और तकनीकी रूप से कमजोर है। उन्होंने आरोप लगाया कि बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के महत्वपूर्ण आदेश को नजरअंदाज कर जबरन एफआईआर दर्ज की गई है।

आगे और भी गिरफ्तारियां संभव:
सूत्रों के मुताबिक, इस मामले में और भी कई बड़े चेहरों पर कार्रवाई हो सकती है।

विपक्ष ने की CBI जांच की मांग:
नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने प्रधानमंत्री कार्यालय और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर इस घोटाले की CBI जांच की मांग की है। विधानसभा के बजट सत्र 2025 में भी इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया गया था।

भारतमाला परियोजना:
950 किलोमीटर लंबी इस सड़क परियोजना के लिए रायपुर से विशाखापटनम तक किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई है। भूमि अधिग्रहण नियम 2013 के तहत किसानों को बाजार मूल्य के अलावा सोलेशियम राशि भी दी जानी थी, लेकिन घोटालेबाजों ने इसमें गड़बड़ी कर करोड़ों का मुआवजा फर्जी तरीके से हासिल किया।

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