रायपुर, 30 मार्च 2025: राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) छत्तीसगढ़ ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के तहत 1.18 लाख करोड़ रुपये की ऋण क्षमता का अनुमान लगाया है। राज्य ऋण संगोष्ठी 2025-26 में इस अनुमान की घोषणा की गई, जिसमें कृषि, एमएसएमई और सहकारिता क्षेत्र के लिए प्रमुख योजनाओं पर चर्चा हुई।
राज्य ऋण संगोष्ठी में हुआ स्टेट फोकस पेपर 2025-26 का अनावरण
नाबार्ड छत्तीसगढ़ क्षेत्रीय कार्यालय, रायपुर द्वारा आयोजित इस संगोष्ठी में छत्तीसगढ़ सरकार के सहकारिता मंत्री केदार कश्यप मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने नाबार्ड को इस पहल के लिए बधाई दी और कृषि, सहकारिता और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नाबार्ड की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की।

एमएसएमई और कृषि क्षेत्र को मिलेगा बड़ा लाभ
नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. ज्ञानेंद्र मणि ने बताया कि 1.18 लाख करोड़ रुपये की ऋण क्षमता में से 58.8% हिस्सा एमएसएमई क्षेत्र और 33.4% कृषि क्षेत्र के लिए होगा। उन्होंने राज्य में दलहन और तिलहन की घटती खेती पर चिंता व्यक्त की और इसके सुधार के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई।
छत्तीसगढ़ में बैंकिंग सुविधाओं का विस्तार और सहकारी समितियों का सशक्तिकरण
डॉ. मणि ने यह भी बताया कि वर्ष 2025 “सहकारिता का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष” है, और इस अवसर पर नाबार्ड छत्तीसगढ़ सरकार के साथ मिलकर सहकारी समितियों को और अधिक विकासशील, सशक्त और समावेशी बनाने के लिए कार्य करेगा।
सहकारिता मंत्री केदार कश्यप का संबोधन
मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि छत्तीसगढ़ में किसानों और आदिवासी समुदायों के लिए बैंकिंग सेवाओं को अधिक सुलभ बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने नाबार्ड और बैंकों से आग्रह किया कि वे छोटे किसानों, मत्स्यपालकों और वन उत्पादों पर निर्भर समुदायों के लिए अधिक ऋण सुविधाएं सुनिश्चित करें।
बैंकों और वित्तीय संस्थानों की भागीदारी
संगोष्ठी में आरबीआई, एसबीआई, छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक, एपेक्स बैंक सहित अन्य प्रमुख बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के अधिकारी उपस्थित थे। आरबीआई के महाप्रबंधक मोहन रावत ने बैंकों से प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के तहत कृषि ऋण के 18% लक्ष्य को प्राप्त करने का आग्रह किया।
छत्तीसगढ़ की आर्थिक मजबूती की दिशा में अहम कदम
छत्तीसगढ़ सरकार और नाबार्ड के संयुक्त प्रयासों से राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग पहुंच बढ़ाने, कृषि और सहकारिता क्षेत्र को मजबूत करने की दिशा में यह एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।
