बस्तर में शिक्षा की अनोखी पहल: सास-बहू और मां-बेटी ने दी साक्षरता परीक्षा

जगदलपुर, 24 मार्च 2025: नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग में प्रशासन ने शिक्षा के क्षेत्र में अनूठी पहल करते हुए सास-बहू और मां-बेटी की जोड़ी के साथ साक्षरता परीक्षा आयोजित की। इस अभियान को खास बनाने के लिए गांव-गांव, घर-घर जाकर हल्दी लगे पीले चावल बांटे गए, जो आमतौर पर शादी या शुभ कार्यों में निमंत्रण के रूप में दिए जाते हैं। इस बार इन्हें “शिक्षा के महापर्व” का न्योता बनाने से गांवों में परीक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ी और महिलाओं की भारी भागीदारी देखी गई

शिक्षा के निमंत्रण ने बढ़ाई भागीदारी

साक्षरता परीक्षा में शामिल सास सुमित्र मरकाम ने कहा, “जब मुझे पीले चावल मिले तो अहसास हुआ कि यह सिर्फ एक परीक्षा नहीं, बल्कि समाज में बदलाव का अभियान है। मेरी बहू ने भी मेरा साथ दिया और हम दोनों ने परीक्षा दी।” उनकी बहू हेमबती मरकाम ने कहा, “हमें लगा जैसे हमें किसी शुभ अवसर पर बुलाया गया हो। पूरे परिवार का सहयोग मिला और परीक्षा देना हमारे लिए खास अनुभव रहा।”

बस्तर में शिक्षा क्रांति की नई लहर

कोंडागांव के जिला साक्षरता परियोजना अधिकारी वेणु गोपाल राव ने बताया कि प्रशासन द्वारा हल्दी लगे चावलों के माध्यम से निमंत्रण भेजने की अनूठी पहल से ग्रामीणों में शिक्षा के प्रति उत्साह बढ़ा। परिणामस्वरूप, परीक्षा केंद्रों पर बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हुईं

बच्चों के साथ परीक्षा देने पहुंचीं महिलाएं

बस्तर जिले के भड़ीसगांव परीक्षा केंद्र में महिला नील कुमारी अपने पांच साल के बेटे के साथ परीक्षा देती नजर आईं। उन्होंने कहा, “अब मैं अनपढ़ता के अंधेरे से मुक्त होकर अपना जीवन संवारना चाहती हूं।”

अधिकारियों ने किया परीक्षा केंद्रों का दौरा

इस पहल की सराहना करते हुए बस्तर सांसद महेश कश्यप और जिला शिक्षा अधिकारी बी आर बघेल ने परीक्षा देने आईं महिलाओं को पुष्पगुच्छ भेंट कर सम्मानित किया। बघेल ने कहा, “इस तरह की जागरूकता से निश्चित रूप से बस्तर का शिक्षा स्तर बेहतर होगा।”

मां-बेटी और सास-बहू बनीं प्रेरणा

सास-बहू और मां-बेटी की जोड़ी उन महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जिन्होंने किसी कारणवश पढ़ाई छोड़ दी थी। इस पहल ने साबित कर दिया कि अगर इच्छाशक्ति हो, तो किसी भी उम्र में शिक्षा प्राप्त की जा सकती है

शिक्षा के प्रति जागरूकता का बढ़ता प्रभाव

इस अभियान ने दिखाया कि प्रशासन और समाज मिलकर प्रयास करें, तो शिक्षा को लेकर सकारात्मक बदलाव संभव है। बस्तर में शिक्षा की इस नई क्रांति को आगे बढ़ाने के लिए प्रशासन निरंतर कार्य कर रहा है।

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