कोंडागांव: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कोंडागांव में 6.51 करोड़ रुपये की लागत से बने अंतर्राज्यीय बस स्टैंड की बदहाल स्थिति पर स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार और नगर निगम को कड़ी फटकार लगाई है।
शनिवार को हुई सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति रविंद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के सचिव और कोंडागांव नगर निगम आयुक्त से जवाब तलब किया है। अदालत ने पूछा कि बस स्टैंड को वीरान और उपेक्षित क्यों छोड़ा गया है। हाईकोर्ट ने दोनों अधिकारियों को हलफनामा दाखिल कर इस मामले पर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है।

असामाजिक तत्वों का अड्डा बना बस स्टैंड
स्थानीय रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले दो वर्षों से बंद पड़े इस बस स्टैंड में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लग रहा है। यहां शराबखोरी, स्टंटबाजी और गुंडागर्दी जैसी गतिविधियां आम हो गई हैं।
बस स्टैंड परिसर में बड़ी डिस्प्ले स्क्रीन लगी होने के बावजूद सीसीटीवी निगरानी की कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे असामाजिक तत्वों को मनमानी करने का पूरा अवसर मिल रहा है।
रखरखाव के अभाव में करोड़ों की संपत्ति बर्बाद
लाखों रुपये की लागत से बने इस बस स्टैंड का सही तरीके से रखरखाव नहीं होने के कारण इसकी हालत तेजी से खराब हो रही है। स्थानीय प्रशासन की लापरवाही के चलते यह महत्वपूर्ण परिवहन केंद्र निष्क्रिय पड़ा हुआ है, जिससे यात्रियों को भारी असुविधा हो रही है।
हाईकोर्ट की सख्त चेतावनी
हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सचिव, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग और कोंडागांव नगर निगम आयुक्त को अगली सुनवाई से पहले अपना जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।
अगली सुनवाई 16 अप्रैल को होगी, जिसमें अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत जवाबों की समीक्षा की जाएगी। यदि संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो अदालत आगे की कड़ी कार्रवाई कर सकती है।
