छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ जारी जमीनी अभियान का असर अब पड़ोसी राज्य तेलंगाना में भी दिखने लगा है। वहां एक साथ 64 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया। ये सभी नक्सली छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के सुकमा और बीजापुर जिलों में सक्रिय थे। फोर्स के बढ़ते दबाव और लगातार हो रहे अभियानों के चलते नक्सली बैकफुट पर आ गए हैं, जिससे उनके संगठन को बड़ा झटका लगा है।
तेलंगाना में 64 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण
तेलंगाना पुलिस मुख्यालय में मल्टी ज़ोन-1 के आईजीपी चंद्रशेखर रेड्डी के सामने 64 नक्सलियों ने हथियार डाल दिए। इनमें डीवीसीएम, एसीएम, मिलीशिया सदस्य, पार्टी सदस्य और पीपीसीएम के अलावा 16 महिलाएं भी शामिल हैं। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को सरकार की ओर से 25-25 हजार रुपये की नकद प्रोत्साहन राशि दी गई। इस दौरान रेंज के आईजी चंद्रशेखर रेड्डी, एसपी रोहित राज समेत अन्य पुलिस अधिकारी मौजूद रहे।

मार्च 2026 तक नक्सलवाद खत्म करने का लक्ष्य
छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद को खत्म करने के लिए मार्च 2026 की डेडलाइन तय की गई है। इसके तहत सुरक्षाबलों द्वारा नक्सल प्रभावित इलाकों में ऑपरेशन तेज कर दिया गया है। हाल ही में बस्तर संभाग में 17 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था। लगातार हो रही कार्रवाई से नक्सली घबराए हुए हैं और सुरक्षित ठिकानों की तलाश कर रहे हैं।
सुकमा में दो नक्सली सप्लायर गिरफ्तार
इस बीच, बस्तर संभाग के सुकमा जिले में पुलिस ने दो नक्सली सप्लायरों को गिरफ्तार किया है। इनमें से एक मुचाकी सुरेश तेलंगाना स्टेट कमेटी और पीएलजीए बटालियन नंबर-1 के नक्सलियों को रसद और दैनिक उपयोगी सामग्री की सप्लाई करता था। वह सुरक्षाबलों की गतिविधियों की रेकी करने और रास्तों में आईईडी व स्पाइक बम लगाने जैसे कामों में शामिल था।
गिरफ्तार नक्सलियों की पहचान मुचाकी सुरेश (निवासी मलेंमपेंटा, बीजापुर) और पुनेम हिड़मा (मिलिशिया सदस्य, बीजापुर) के रूप में हुई है। इन्हें कुंदेड़ जंगल के पास पकड़ा गया और न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया।
नक्सलियों के लिए बड़ा झटका
छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में चल रहे सुरक्षा अभियानों से नक्सली कमजोर पड़ रहे हैं। हाल ही में तेलंगाना में 122 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था, जिससे नक्सली संगठनों की ताकत लगातार घट रही है।
