बीजापुर, छत्तीसगढ़। एक तरफ कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के चलते सीमा पर तनाव है, तो दूसरी तरफ देश के अंदरूनी हिस्से में छत्तीसगढ़ की कर्रेगुट्टा पहाड़ियों में ‘ऑपरेशन संकल्प’ के तहत अब तक का सबसे बड़ा एंटी नक्सल अभियान चलाया जा रहा है।
इस साहसिक सैन्य अभियान में अब तक 10,000 से अधिक जवान शामिल हैं और उनका मुकाबला देश के सबसे खतरनाक माओवादी संगठन के करीब 2000 हथियारबंद नक्सलियों से हो रहा है। बुधवार को ऑपरेशन के नौवें दिन एक बड़ी सफलता हाथ लगी जब जवानों ने धोबे की पहाड़ी पर कब्जा कर वहां तिरंगा फहरा दिया। अब जवानों का अगला लक्ष्य कर्रेगुट्टा की पहाड़ी है, जहां हिड़मा, देवा, दामोदर और आज़ाद जैसे कुख्यात नक्सली कमांडर घिरे हुए हैं।

हेलिकॉप्टर से उतरे जवान, कर्रेगुट्टा की घेराबंदी तेज
जानकारी के मुताबिक, धोबे की पहाड़ी पर नियंत्रण पाने के लिए वायुसेना के MI-15 हेलिकॉप्टरों से जवानों को उतारा गया था। यह क्षेत्र इतना दुर्गम है कि हेलिकॉप्टर को भी सावधानी से लैंड कराना पड़ा। इस सफल मिशन के बाद अब फोकस कर्रेगुट्टा की ओर है, जहां नक्सलियों को चारों तरफ से घेर लिया गया है और वे एक सीमित क्षेत्र में फंस गए हैं।
ऑपरेशन में तीन महिला नक्सली ढेर, 24 लाख का इनाम
इस अभियान के तहत 24 अप्रैल को सुरक्षाबलों ने तीन महिला नक्सलियों को मार गिराया। तीनों पर 8-8 लाख रुपये का इनाम था। ये नक्सली पीएलजीए बटालियन नंबर 1 की सक्रिय सदस्य थीं, जिनके नाम हैं हुंगी, शांति और सिन्टू।
कर्रेगुट्टा बना नक्सलियों का आखिरी ठिकाना?
कर्रेगुट्टा की पहाड़ी को नक्सलियों का सबसे सुरक्षित गढ़ माना जाता है। यहां का तापमान फिलहाल 40 से 45 डिग्री सेल्सियस के बीच है, फिर भी जवान हर चुनौती को पार करते हुए इस दुर्गम इलाके में दबिश बनाए हुए हैं। इस क्षेत्र में मौजूद हिड़मा जैसे खूंखार माओवादी लीडर के पकड़े या मारे जाने की स्थिति में यह ऑपरेशन ऐतिहासिक सफलता मानी जाएगी।
9 दिन से जारी है देश का सबसे बड़ा एंटी-नक्सल ऑपरेशन
‘ऑपरेशन संकल्प’ को देश का अब तक का सबसे बड़ा और निर्णायक एंटी-नक्सल ऑपरेशन माना जा रहा है। छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर पांच हजार फीट ऊंची इस पहाड़ी पर चल रहे अभियान ने माओवादियों के मनोबल को तोड़ दिया है।
अब पूरा देश इस ऑपरेशन की सफलता पर टकटकी लगाए बैठा है।
