रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों को राहत देने के उद्देश्य से जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया में अहम बदलाव किया है। अब जमीन की रजिस्ट्री के समय, जमीन पर मौजूद वृक्षों का मूल्य बाजार मूल्य में शामिल नहीं किया जाएगा। इसका मतलब यह है कि जमीन का बाजार मूल्य केवल भूमि के आधार पर तय किया जाएगा, वृक्षों की कीमत को इससे बाहर रखा जाएगा।
पहले की व्यवस्था में, यदि किसी जमीन पर साल, सौगान जैसे इमारती लकड़ी के वृक्ष होते थे, तो उनके मूल्य को भी जमीन के बाजार मूल्य में जोड़ा जाता था। इस पर स्टांप ड्यूटी और पंजीयन शुल्क भी लिया जाता था, जिससे रजिस्ट्री महंगी हो जाती थी। नई व्यवस्था से किसानों को सीधा फायदा होगा, क्योंकि अब उन्हें रजिस्ट्री के समय कम शुल्क देना होगा।

राजस्व पर पड़ेगा प्रभाव
पंजीयन एवं मुद्रांक आयुक्त पुष्पेंद्र कुमार मीणा ने कहा कि इस निर्णय से सरकार को करीब 10 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान होगा। लेकिन यह फैसला जनहित में लिया गया है और इससे किसानों की समस्याएं कम होंगी।
मुख्यमंत्री का निर्देश
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और पंजीयन मंत्री ओपी चौधरी ने किसानों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए इस व्यवस्था में बदलाव के निर्देश दिए थे। नई नीति से न केवल किसानों को वित्तीय राहत मिलेगी, बल्कि कागजी प्रक्रिया में होने वाली देरी भी कम होगी।
पहले की प्रक्रिया
पूर्व में, यदि जमीन पर इमारती वृक्ष होते थे, तो इसके लिए पटवारी का प्रतिवेदन जरूरी होता था। इससे कागजी कार्यवाही में विलंब होता था और किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ता था।
