राज्य सरकार ने तीरथ बरत योजना का नाम बदलकर मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना किया

राज्य सरकार ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की तीरथ बरत योजना का नाम बदलकर इसे फिर से मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना कर दिया है। इस योजना को सबसे पहले वर्ष 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों को विभिन्न धार्मिक स्थलों की निशुल्क यात्रा करवाना है, ताकि वे आध्यात्मिक और मानसिक शांति प्राप्त कर सकें।

नाम बदलने का इतिहास
2018 में कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के बाद इसका नाम बदलकर तीरथ बरत योजना कर दिया था। हालांकि, 2019 से 2023 के बीच इस योजना के तहत कोई तीर्थ यात्रा नहीं हुई। अब भाजपा सरकार ने इसे पुनः मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना नाम देकर 2024-25 के प्रथम अनुपूरक बजट में इसके लिए 25 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।

राजनीतिक बयानबाजी तेज
सरकार के इस कदम को लेकर विपक्ष और सत्ता पक्ष में सियासत तेज हो गई है। विपक्ष ने इसे महज नाम बदलने की राजनीति करार दिया है, जबकि सत्ता पक्ष का कहना है कि यह निर्णय योजनाओं को पुनर्जीवित कर जनता तक लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से लिया गया है।

विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का कहना है कि नाम बदलने के साथ-साथ योजना के क्रियान्वयन में सुधार पर ध्यान देना भी जरूरी है। योजना का उद्देश्य तभी सफल होगा जब वरिष्ठ नागरिकों को यात्रा के दौरान बेहतर सुविधाएं और अनुभव प्रदान किया जाएगा।

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