रायपुर: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए पंचायत शिक्षकों को उनके अधिकार का पुनरीक्षित वेतनमान, एरियर्स और 10 प्रतिशत ब्याज सहित भुगतान करने का निर्देश दिया। इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने संचालक पंचायत और सीईओ जिला पंचायत कोरिया के खिलाफ न्यायालयीन आदेश की अवहेलना का आरोप लगाया था।
मामले का क्रम:
छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले की शिक्षिका सोना साहू ने सबसे पहले पुनरीक्षित वेतनमान को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया, जिससे राज्य के 50,000 शिक्षकों के लिए रास्ता खुला। सोना साहू सहित कई शिक्षकों को न्यायालयीन आदेश का पालन करवाने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी।
कोरिया जिले के अविनाश नामदेव और सात अन्य शिक्षकों ने भी हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद जब पुनरीक्षित वेतनमान और एरियर्स का भुगतान नहीं किया गया, तो अवमानना याचिका दायर की।
अदालती निर्देश:
हाई कोर्ट ने पंचायत शिक्षकों को 90 दिनों के भीतर पुनरीक्षित वेतनमान और एरियर्स का भुगतान करने का निर्देश दिया था। तय समय सीमा में भुगतान न होने पर कोर्ट ने 10 प्रतिशत ब्याज की शर्त रखी।
अवमानना याचिका का परिणाम:
याचिकाकर्ताओं ने शिकायत की कि तीन साल बाद उन्हें केवल एरियर्स की राशि दी गई, लेकिन ब्याज का भुगतान नहीं किया गया। हाई कोर्ट ने संचालक पंचायत और सीईओ जिला पंचायत कोरिया को नोटिस जारी किया। कोर्ट के दबाव के बाद याचिकाकर्ताओं को ब्याज सहित 11 लाख रुपये का भुगतान किया गया।
कोर्ट का फैसला:
संचालक पंचायत और सीईओ ने अदालत में भुगतान की पुष्टि करते हुए दस्तावेज पेश किए। इसके बाद हाई कोर्ट ने याचिका को निराकृत कर दिया।
शिक्षकों की प्रतिक्रिया:
पुनरीक्षित वेतनमान और एरियर्स मिलने के बाद शिक्षकों में खुशी है, लेकिन वे चाहते हैं कि भविष्य में उन्हें ऐसी कानूनी लड़ाई लड़ने की जरूरत न पड़े।