छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने सोमवार को कैबिनेट बैठक में बड़ा फैसला लेते हुए राज्य में महापौर (मेयर) और नगरपालिकाओं के अध्यक्षों का चुनाव फिर से प्रत्यक्ष प्रणाली से कराने की मंजूरी दी। इसके तहत, जनता सीधे वोटिंग के जरिए अपने महापौर और अध्यक्ष का चयन करेगी।
कैबिनेट बैठक में छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम अधिनियम, 1956 और छत्तीसगढ़ नगर पालिका अधिनियम, 1961 में संशोधन का प्रस्ताव मंजूर किया गया। संशोधन के तहत प्रत्यक्ष निर्वाचन और आरक्षण संबंधित प्रावधानों को शामिल किया गया है।
भूपेश बघेल सरकार का निर्णय पलटा
छत्तीसगढ़ के गठन के बाद राज्य में मेयर का चुनाव प्रत्यक्ष तौर पर होता था। 2018 में कांग्रेस सरकार के आने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस व्यवस्था को बदलकर अप्रत्यक्ष प्रणाली लागू की थी। 12 दिसंबर 2019 को अधिसूचना जारी कर मेयर और अध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराने का निर्णय लिया गया था। अब नई सरकार ने इस व्यवस्था को पलटते हुए जनता को फिर से मेयर चुनने का अधिकार दिया है।
पंचायत और नगरीय निकाय आरक्षण में बड़ा बदलाव
कैबिनेट बैठक में त्रिस्तरीय पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में आरक्षण की अधिकतम सीमा 50% तक बढ़ाने पर भी सहमति बनी है। पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक विभाग द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव के तहत, पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की अनुशंसा पर 50% आरक्षण का प्रावधान लागू किया गया।
इस फैसले से पिछड़े वर्ग को उनके जनसंख्या अनुपात के अनुसार प्रतिनिधित्व मिलेगा। वहीं, पहले से लागू 25% आरक्षण सीमा को अब शिथिल कर दिया गया है।
महत्वपूर्ण बातें
- महापौर और अध्यक्ष का चुनाव अब प्रत्यक्ष प्रणाली से होगा।
- पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में पिछड़े वर्ग को 50% तक आरक्षण।
- राज्य सरकार ने पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की सिफारिशों को मंजूरी दी।