शिरोमणि अकाली दल के पूर्व अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को अकाल तख्त ने धार्मिक आचरण के उल्लंघन का दोषी ठहराते हुए ‘तंखैया’ घोषित किया है। सोमवार को अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने अमृतसर में पंज प्यारे की उपस्थिति में यह फैसला सुनाया। सुखबीर बादल ने स्वयं अकाल तख्त से आग्रह किया था कि इस मामले का जल्द निपटारा किया जाए।
जत्थेदार ने सुखबीर बादल को आदेश दिया है कि वे पंजाब के प्रमुख गुरुद्वारों, जैसे श्री हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर), तख्त श्री केसगढ़ साहिब, तख्त श्री दमदमा साहिब, दरबार साहिब (मुक्तसर) और गुरुद्वारा फतेहगढ़ साहिब के बाहर दो-दो दिन तक सेवक की पोशाक पहनकर बैठें।
प्रत्येक दिन सुबह 9 बजे से 10 बजे तक गुरुद्वारे के बाहर बैठने के बाद उन्हें लंगर हॉल में जाकर एक घंटे तक बर्तन साफ करने का निर्देश दिया गया है।
इसके अलावा, अन्य वरिष्ठ नेताओं, जैसे बीबी जागीर कौर, प्रेम सिंह चंदूमाजरा, सुरजीत सिंह, बिक्रमजीत सिंह मजीठिया और बीजेपी नेता सोहन सिंह थंदल को स्वर्ण मंदिर परिसर के शौचालय साफ करने का आदेश दिया गया है।
अकाल तख्त ने पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को दिए गए ‘फखर-ए-कौम’ (कौम का गौरव) पुरस्कार को भी रद्द कर दिया है। यह पुरस्कार उन्हें अपने कार्यकाल के दौरान डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को माफ करने के फैसले के लिए दिया गया था।
राजनीतिक महत्व
अकाल तख्त का यह फैसला शिरोमणि अकाली दल की भविष्य की राजनीति के लिए एक बड़ा झटका है। 2007 से 2017 के दौरान सत्ता में रहते हुए पार्टी द्वारा लिए गए ‘गलत फैसलों’ और बेअदबी की घटनाओं के कारण यह निर्णय लिया गया।
तंखैया घोषित किए जाने के बाद शिरोमणि अकाली दल ने 20 नवंबर को हुई विधानसभा उपचुनावों में हिस्सा नहीं लिया। सुखबीर बादल ने पिछले महीने पार्टी प्रमुख पद से भी इस्तीफा दे दिया।