चावल योजना के दुरुपयोग का आरोप: ईसाई मिशनरियों पर धर्मांतरण के लिए सरकारी अनाज बेचने का आरोप

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) और छत्तीसगढ़ सरकार की अन्नपूर्णा योजना के तहत गरीबों को वितरित किए जाने वाले चावल के दुरुपयोग का गंभीर मामला सामने आया है। आरोप है कि ईसाई मिशनरी इन योजनाओं के तहत मिलने वाले चावल को धर्मांतरण के लिए उपयोग कर रहे हैं।

‘एक मुट्ठी चावल योजना’ से करोड़ों की कमाई
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मिशनरियों ने “एक मुट्ठी चावल योजना” शुरू की है। इसके तहत गरीब परिवारों से रोजाना एक मुट्ठी चावल दान में लिया जाता है। बाद में इस चावल को इकट्ठा कर खुले बाजार में 25-30 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा जाता है। इस योजना से मिशनरी हर साल करीब 100 करोड़ रुपये की कमाई कर रहे हैं।

2019 में लागू विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA) के तहत मिशनरियों पर विदेशी फंडिंग में कड़ी पाबंदी लगाई गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस पाबंदी के कारण मिशनरियों ने “चावल योजना” जैसे नए तरीके अपनाए हैं, ताकि धर्मांतरण गतिविधियों को जारी रखा जा सके।

जशपुर और अन्य जिलों में स्थिति चिंताजनक
रिपोर्ट्स के अनुसार, जशपुर जिला इस समस्या से सबसे अधिक प्रभावित है। 2011 की जनगणना में यहां 1.89 लाख लोग ईसाई थे, जो अब 35% तक बढ़ गए हैं और इनकी संख्या 3 लाख से अधिक हो गई है। मार्च 2024 में एक आरटीआई से खुलासा हुआ कि सिर्फ 210 लोगों ने कानूनी रूप से ईसाई धर्म अपनाया है।

छत्तीसगढ़ में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा गरीबों को हर महीने 35 किलो चावल दिया जाता है। हालांकि, सरकारी चावल का दुरुपयोग न केवल गरीबों के लिए खाद्य सुरक्षा के उद्देश्य को कमजोर कर रहा है, बल्कि सामाजिक असमानता और कानून व्यवस्था की स्थिति को भी बाधित कर रहा है।

मिशनरियों के तरीकों पर सवाल
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, healing meetings और धार्मिक कार्यक्रमों के दौरान चावल एकत्र किया जाता है, जिसे बाद में धर्मांतरण को बढ़ावा देने के लिए उपयोग किया जाता है। 2020 में जशपुर के समरबहार गांव में “एक मुट्ठी चावल योजना” के बारे में खुलासा हुआ था। इसी तरह जनवरी 2024 में जशपुर के जुर्गुम गांव में भी ऐसी ही गतिविधियों की जानकारी सामने आई थी।

सरकार की प्रतिक्रिया
छत्तीसगढ़ के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री दयाल दास बघेल ने कहा, “अगर सरकारी अनाज का उपयोग धर्मांतरण के लिए किया जा रहा है, तो यह गंभीर मामला है। हम इस पूरे मामले की जांच करेंगे और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे।”

सरकारी चावल के इस दुरुपयोग से राज्य में सामाजिक और आर्थिक असंतुलन पैदा हो रहा है। इस समस्या का समाधान करने के लिए सरकार को जल्द ही ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

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