दिल्ली में प्रदूषण संकट: सुप्रीम कोर्ट की फटकार, सीएम आतिशी ने केंद्र पर लगाया ठोस कदम न उठाने का आरोप

दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई, जबकि मुख्यमंत्री आतिशी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर पराली जलाने की समस्या को रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया। सोमवार को मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि उत्तर भारत वायु प्रदूषण के कारण मेडिकल इमरजेंसी का सामना कर रहा है। उन्होंने केंद्र सरकार पर केवल राजनीति करने और पराली जलाने को रोकने के लिए कोई ठोस कदम न उठाने का आरोप लगाया।

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का हाल
दिल्ली में वायु गुणवत्ता अक्टूबर के अंत से लगातार खराब हो रही है और अब ‘गंभीर-प्लस’ श्रेणी में पहुंच गई है। सोमवार सुबह दिल्ली-एनसीआर के कई क्षेत्रों में दृश्यता शून्य के करीब थी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा जारी ‘समीर ऐप’ के अनुसार, सुबह 8:30 बजे दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 484 दर्ज किया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली सरकार से यह पूछा कि बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए उसने क्या कदम उठाए हैं। कोर्ट ने GRAP (Graded Response Action Plan) के चौथे चरण को लागू करने में देरी पर सवाल खड़े किए।

सीएम आतिशी का केंद्र पर पलटवार
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने केंद्र सरकार से पूछा, “पिछले 6-7 वर्षों में पराली जलाने की घटनाएं क्यों बढ़ रही हैं? क्या केंद्र सरकार एक भी ऐसा कदम बता सकती है, जिसे उसने इसे रोकने के लिए उठाया हो?” उन्होंने दावा किया कि पंजाब में उनकी पार्टी की सरकार ने पराली जलाने के मामलों में 80% की कमी लाई है, फिर अन्य राज्यों में यह समस्या क्यों बढ़ रही है।

आतिशी ने यह भी पूछा कि “पूरा उत्तर भारत मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में क्यों है?” उन्होंने केंद्र पर आरोप लगाया कि वह केवल राजनीति कर रहा है और प्रदूषण नियंत्रण के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं कर रहा।

क्या है GRAP का चौथा चरण?
GRAP के चौथे चरण में ‘ऑड-ईवन’ नियम लागू किया जा सकता है, जिसमें वाहनों को उनकी नंबर प्लेट के अनुसार दिन निर्धारित किए जाते हैं। इसके अलावा, निर्माण कार्यों पर सख्ती, ट्रकों की एंट्री पर प्रतिबंध और उद्योगों पर रोक जैसे कदम भी शामिल हैं।

समस्या का समाधान जरूरी
दिल्ली और आसपास के इलाकों में प्रदूषण न केवल स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल रहा है, बल्कि जीवन को भी खतरे में डाल रहा है। सरकारों को आपसी आरोप-प्रत्यारोप से ऊपर उठकर प्रदूषण से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

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