छत्तीसगढ़ में निकाय और पंचायत चुनाव को लेकर स्थिति अभी भी असमंजस में है। इन संस्थाओं का कार्यकाल समाप्त होने वाला है, लेकिन चुनाव की तारीखें अब तक तय नहीं हुई हैं। राज्य सरकार चाहती है कि पंचायत और निकाय चुनाव एक साथ कराए जाएं। हालांकि, अगर चुनाव समय पर नहीं हो पाते हैं तो प्रशासक इन संस्थाओं का कामकाज संभालेंगे।
निकाय संस्थाओं का कार्यकाल पांच साल का होता है, और आमतौर पर चुनाव कार्यकाल खत्म होने से कुछ महीने पहले ही कराए जाते हैं ताकि नई सरकार समय पर कामकाज शुरू कर सके। लेकिन इस बार चुनाव समय पर होते नजर नहीं आ रहे हैं। इसे देखते हुए राज्य सरकार एक नया कानून ला रही है, जिसके तहत यदि चुनाव तय समय पर नहीं हो पाते हैं तो प्रशासक अगले छह महीने तक कामकाज संभालेंगे।
सूत्रों का कहना है कि पंचायत और निकाय चुनाव एक साथ कराने के साथ ही महापौर और अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता द्वारा कराने पर भी विचार हो रहा है। चुनाव में देरी के कारणों में एक तो चुनाव आयोग की तैयारियों के लिए समय की जरूरत बताई जा रही है, साथ ही ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना बाकी है। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि चुनाव कराना राज्य निर्वाचन आयोग का काम है और सरकार उसे सीधे निर्देश नहीं दे सकती।