रायपुर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा जिलों में शिक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की जा रही है। बीजापुर में सात हजार से अधिक बच्चे पाए गए हैं जो स्कूल नहीं जाते। दंतेवाड़ा में सात और सुकमा में पांच गांवों समेत कुल 45 गांवों में स्कूल, आश्रम और छात्रावास खोले जा रहे हैं। पहले इन इलाकों के बच्चों को अपने घर से दूर आवासीय विद्यालयों में शिक्षा लेनी पड़ती थी।
बुरजी ग्राम पंचायत के डुमरीपालनार गांव में पहली बार बच्चे अपने ही गांव में पढ़ाई करेंगे। गांव में शिक्षा दूत तैनात किए जा रहे हैं और “स्कूल फिर चले अभियान” के तहत स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों को शिक्षा से जोड़ा जा रहा है। 18 जून को प्रवेश उत्सव मनाया जाएगा, जिसमें बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा कैंप बढ़ा रही है और बंद स्कूलों को फिर से खोल रही है। साल 2004-05 में सलवा जुडूम आंदोलन के दौरान बंद हुए स्कूलों को फिर से बहाल किया जा रहा है।
इस प्रयास से बच्चों को अपने गांव में ही शिक्षा प्राप्त करने का मौका मिलेगा और ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर सुधरेगा। बीजापुर में 108 शिक्षा दूत नियुक्त किए गए हैं, जो बच्चों की शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।