बहन द्वारा अपने भाई को दुकान से निगम के माध्यम से बेदखल कराए जाने को अदालत ने गलत ठहराया है। अदालत ने पाया है कि बहन द्वारा गलत तरीके से विवादित दुकान को अपने नाम करा लिया था और निगम प्रशासन के माध्यम से पुलिस की मौजूदगी में दुकान पर काबिज अपने भाई को बेदखल करा दिया था। इस मामले में अदालत ने निगन प्रशासन को आदेशित किया है कि 2 माह की अवधि में विवादित दुकान का कब्जा भाई को प्रदान किया जाए। यह फैसला न्यायाधीश प्रशांत कुमार देवांगन की अदालत ने मंगलवार को दिया है।
दुर्ग (छत्तीसगढ़)। मामला इंदिरा मार्केट स्थित टीन शेड दुकान क्र. डी 8/1 का है। निगम प्रशासन द्वारा यह दुकान राधामल सुखेजा के नाम से आवंटित की गई थी। राधामल के 20 सितंबर 1987 को निधन के पश्चात राधामल का पुत्र शंकर नगर निवासी सुरेश जसवानी बतौर उत्तराधिकारी इस पर काबिज था। इसी दरम्यान सुरेश की रायपुर निवासी बहन ममता मदनानी ने इस दुकान का नामांतरण 25 मार्च 2014 को अपने नाम होने का आदेश निगम से प्राप्त कर लिया था और निगम प्रशासन की मदद से पुलिस की मौजूदगी में 23 जून 2015 को सुरेश को दुकान से बेदखल करा कर कब्जा प्राप्त कर लिया था। जिसके बाद दुकान पर ममता के पुत्र विजय मदनानी ने दुकान पर ताला लगा दिया था।
कूटरचना कर कराया गया नामांतरण
नगर निगम की इस कार्रवाई के खिलाफ सुरेश जसवानी ने अदालत में वाद दाखिल किया था। वाद में उन्होंने बताया था कि ममता मदनानी के साथ 4 मई 2011 को हटरी बाजार की दुकान का इकरारनामा किया गया था। इस इकरानामा में 5 मई 2011 को कूटरचना कर हटरी बजार की दुकान के स्थान पर इंदिरा मार्केट स्थित दुकान का उल्लेख कर दिया गया था। इन कूटरचित दस्तावेंजो और निगम के अधिकारियों, कर्मचारियों से मिलीभगत कर ममता ने इस दुकान का नामांतरण अपने नाम पर करा लिया और इसी आधार पर निगम प्रशासन ने सुरेश को बेदखल कर दिया गया।
दो माह की अवधि में कब्जा देने का आदेश
मामले पर विचारण पश्चात न्यायाधीश प्रशांत कुमार देवांगन ने दुकान का वास्तिविक कब्जाधारी सुरेश जसवानी के होने का फैसला दिया। अदालत ने निगम प्रशासन को विवादित दुकान का कब्जा दो माह की अवधि में सुरेश जसवानी को दिलाए जाने का आदेश दिया है। इस मामले में सुरेश द्वारा निगम आयुक्त सहित तत्कालीन राजस्व अधिकारी एके दत्ता, निगम कर्मचारी अनिल सिंह, शिव शर्मा को भी प्रतिवादी बनाया गया था।