बनते घर पूरे होते सपने :​​​​​​​शीलनयुक्त कच्ची झोपड़ी के स्थान पर हुंगी कोरसा का बना पक्का मकान

बीजापुर (छत्तीसगढ़)। हर व्यक्ति का सपना होता है कि उसका स्वंय का असियाना हो। जिसमे वह सुकून से अपने परिवार के साथ गुजर बसर कर सके। ऐसा ही सपना हुंगी कोरसा ने अपने लिए देखा था परन्तु सपने को हकीकत में बदलने की कोशिश को तब पंख लग गये, जब उन्हे प्रधानमंत्री आवास से आवास की स्वीकृति मिली। हुंगी कोरसा अभी अत्यंत बुढ़ी हो चुकी एवं बिना सहारे के चलने फिरने में असमर्थ है। उनकी चार पुत्रियां एक बहू पॉच पोता-पोती के साथ निवास कर रही है उनके पति और एक मात्र पुत्र की पहले ही मृत्यु हो चुकी है जिसके कारण उनका सारा दिन सोच-सोच के गुजरता है।

उन्होने अपने पुत्रियों का विवाह ग्राम पंचायत के आस-पास के पंचायतों में किया है जो समय-समय पर अपनी माता को देखने आते रहते है हुंगी कोरसा अपनी बहू के साथ निवास करती है जोकि खुद एक विधवा महिला है। वह अपने बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए प्रयासरत है उनकी एक पुत्री इस वर्ष बारहवी कक्षा कि परीक्षा शामिल होगी जिनसे काफी उम्मीदें है।

हुंगी कोरसा बहू स्व सहायता समूह महालक्ष्मी समूह की सदस्य है जो ग्राम पंचायत मिडिल स्कूल में मध्यान्न भोजन हेतु समान वितरण का कार्य करती है उनकी बहूत पुराने दिनो को याद कर बताती है कि पहले हम लोग शीलनयुक्त झोपड़ी में निवास करने को मजबूर थे जिसके कारण हर साल छपरी से पानी टपकता था जिसके कारण हमे बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता था हमारे घर में कोई पुरूष सदस्य नही होने कारण रोज मर्रा के जीवन में अनेको परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

प्रधानमंत्री आवास निर्माण होने के पश्चात् हमे उज्जवल योजना से गैस चूल्हा एवं स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण किया गया जिसके कारण मेरे घर की बेटियों को शाम-रात को बाहर जाने की चिंता नहीं रहती। मेरे द्वारा तीन एकड़ खेती का कार्य भी किया जाता है जिससे घर का गुजारा हो जाता है हम लोग पुरे परिवार के साथ अच्छे से जीवन यापन कर खुशी-खुशी प्रधानमंत्री आवास में रह रहे हैं।