रमन सरकार के समय तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ दर्ज आर्थिक अपराध के मामले के खात्मा की अपील जांच एजेंसी एंटी करप्शन ब्यूरों ने की है। एसीबी ने अदालत में आवेदन दाखिल कर कहा है कि मामले की जांच के उपरांत प्रकरण में आर्थिक भ्रष्टाचार किए जाने के तथ्य या साक्ष्य सामने नहीं आए है। इस आधार पर प्रकरण अदालत में विचारण योग्य नहीं है। यह शिकायत पाटन क्षेत्र के पूर्व विधायक व वर्तमान सांसद विजय बघेल द्वारा राज्य आर्थिक अपराध शाखा में की गई थी। जिसके आधार पर भूपेश बघेल के खिलाफ वर्ष 2017 में आपराधिक षडयंत्र रचने तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया था।
दुर्ग (छत्तीसगढ़)। पाटन क्षेत्र के पूर्व विधायक विजय बघेल ने एसीबी के समक्ष की गई शिकायत में आरोप लगाया था कि भूपेश बघेल ने अपने पद का दुरोपयोग कर गलत तरीके से अपनी माता व पत्नि के नाम से भूखंड/मकान का आवंटन कराया था। भिलाई में विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (साडा) के अस्तिव के दौरान यह भ्रष्टाचार किया गया था। शिकायत में बताया गया था कि इस दौरान भूपेश बघेल पाटन के विधायक होने के कारण साडा के पदेन सदस्य थे और अपने पद का दुरोपयोग कर आवंटन कराया गया था। इस शिकायत पर एसीबी ने कार्रवाई करते हुए वर्ष 2017 में भूपेश बघेल के खिलाफ दफा 120(बी) व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1)(डी), सहपठित धारा 13(2) के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया था। मामले को विचारण के लिए न्यायालय में पेश कर दिया गया था।
प्रकरण एसीबी कोर्ट के विशेष न्यायाधीश अजीत कुमार राजभानू का अदालत में विचाराधीन है। इस प्रकरण में अपराध संबंधी किसी प्रकार के तथ्य व साक्ष्य नहीं मिलने का हवाला देते हुए एसीबी ने कोर्ट में आवेदन प्रस्तुत किया है। आवेदन पर विचार करते हुए कोर्ट ने खात्मा के संबंध में संबंधित पक्ष विजय बघेल के पक्ष की सुनवाई के लिए 20 सितंबर की तिथि तय की थी। निर्धारित तिथि पर विजय बघेल की ओर से जबलपुर हाईकोर्ट के वकील सुरेन्द्र सिंह तथा बिलासपुर हाईकोर्ट के वकील प्रवीण दास अदालत के समक्ष उपस्थित हुए। दोनों अधिवक्ताओं के प्रकरण का अवलोकन करने के लिए समय अदालत से मांगा। अदालत ने अधिवक्ताओं को समय प्रदान करते हुए, प्रकरण पर अगली सुनवाई तिथि 5 अक्टूबर तय की गई है।