स्टिंग आपरेशन में रिश्वत लेते पकड़ाए सेना के मेजर जनरल को सेवानिवृति पश्चात 3 साल के कारावास की सजा सुनाई गई है। सीबीआई कोर्ट में यह फैसला पिछले माह सुनाया गया है। आरोपी सेना के अधिकारी द्वारा वर्ष 2001 में रिश्वत लिए जाने के मामले का खुलासा हुआ था। फैसला में विशेष न्ययाधीश ने कहा है कि जब सेना में भ्रष्टाचार की बात आती है तो यह समाज के विश्वास को हिला देती है, इसलिए दोषी को उचित सजा दिया जाना जरुरी है।
नई दिल्ली। सीबीआई कोर्ट के विशेष न्यायाधीश शैलेन्द्र मलिक ने आरोपी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत यह सजा सुनाई गई है। विशेष न्यायाधीश ने फैसले में कहा है कि किसी भी विभाग में भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है, लेकिन जब भारतीय सेना में भ्रष्टाचार की बात आती है, तो यह तथ्य समाज के आत्मविश्वास को हिला देता है। इसलिए दोषी को उचित सजा दी जानी चाहिए। उन्होंने आरोपी रिटायर्ड मेजर जनरल को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 8 व 9 के तहत तीन वर्ष के कारावास व 25 हजार रु. के अर्थदंड से दंडित किए जाने का फैसला दिया है। वर्ष 2001 में सेना के मेजर जनरल एस.पी. मुगई (80 वर्ष) पर एक मामले में 70 हजार रु. बतौर रिश्वत लिए जाने का आरोप था। इस मामले का खुलासा स्टिंग आपरेशन में हुआ था।