दुर्ग (छत्तीसगढ़)। नाबालिग किशोरी को शादी करने का झांसा देकर और डरा-धमका कर दैहिक शोषण करने के आरोपी के खिलाफ स्पेशल कोर्ट ने फैसला सुनाया है। अभियुक्त ने सामाजिक बैठक में अर्थदंड लगाने के बाद किशोरी को अपने घर पर रखा था और लगभग 6 माह तक उसका दैहिक शोषण करता रहा। इस मामले पर कोर्ट ने विचारण पश्चात अभियुक्त को 20 वर्ष के कारावास व 50 हजार रुपए के अर्थदण्ड से दंडित किया है। यह फैसला विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) संगीता नवीन तिवारी ने आज सुनाया है। मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक संतोष कसार ने पैरवी की थी।
मामला धमधा थाना क्षेत्र का है। थाना के एक गांव की निवासी किशोरी ने कक्षा नवमीं के बाद पढ़ाई छोड दी थी। साढ़े 17 वर्ष की किशोरी घर के कामकाज में हाथ बटाती थी। घटना से लगभग दो साल पहले गांव के ही जगजीवन राम चंदेल (21 वर्ष) ने किशोरी के समक्ष प्रेम प्रस्ताव रखा था। जिससे इंकार करने पर जगजीवन ने ब्लेड से खुद को घायल करना प्रारंभ कर दिया, घबरा कर किशोरी ने उसका प्रेम प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। जिसके बाद 10 जनवरी 2020 की देर रात जगजीवन किशोरी के घर पहुंचा और बहला-फुसलाकर को अपने घर ले गया। परिवार के सदस्यों के विरोध के बावजूद उसने किशोरी को घर वापस भेजने से इंकार कर दिया था।
बाद में यह मसला सामाजिक बैठक में पहुंचा और 24 जनवरी 2020 को बैठक में जगजीवन पर 30 हजार रुपए का दंड लगाया गया और समझाइश दी गई कि किशोरी के बालिग होने पर शादी करे। जिसे आरोपी ने स्वीकार तो किया लेकिन किशोरी को उसके घर भेजने से इंकार कर। उसी रात युवक ने किशोरी के साथ डरा-धमका कर शारीरिक संबंध बनाए। यह सिलसिला लगातार चलने लगा। 13 जुलाई 2020 को युवक द्वारा पुनः संबंध बनाने का प्रयास करने पर किशोरी ने मना कर दिया। जिससे नाराज हो कर आरोपी ने किशोरी को जान से मारने की धमकी देकर गाली-गलौज की। परेशान किशोरी अपने घर पहुंची और परिवार वालों को इसकी जानकारी दी। जिसके बाद मामले कि शिकायत पुलिस में की गई।
पुलिस ने आरोपी को लगभग एक माह बाद गिरफ्तार कर 10 अगस्त 2020 को जेल भेज दिया था। आरोपी के विवेचना पश्चात प्रकरण को अदालत के समक्ष पेश किया गया। प्रकरण पर विचारण फास्ट ट्रैक कोर्ट में किया गया। विचारण पश्चात विशेष न्यायाधीश ने आरोपी जगजीवन राम चंदेल (21 वर्ष) को नाबालिग का दैहिक शोषण करने का दोषी करार दिया। अभियुक्त को पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत 20 वर्ष के कारावास से दंडित किए जाने का फैसला सुनाया गया ।