सवालों पर प्रतिबंध लोकतंत्र की जड़ों को करता है खोखला : मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्व. देवीप्रसाद चौबे की स्मृति में भिलाई में आयोजित वसुंधरा सम्मान कार्यक्रम में कहा कि लोकतंत्र प्रश्न पूछने से मजबूत होता हैं। भयमुक्त वातावरण में प्रश्न पूछने का अधिकार ही असल लोकतंत्र है। डरा हुआ समाज अपनी नींव से विचलित हो जाता है।

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। इस्पात नगरी भिलाई में बुधवार को स्व. देवीप्रसाद चौबे की स्मृति में 19 वें वसुंधरा सम्मान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में राज्य के मुखिया भूपेश बघेल ने कहा कि वेदों में, उपनिषदों में भारतीय मनीषा में प्रश्न पूछने की परंपरा है। लोकतंत्र भी प्रश्न पूछने से मजबूत होता है। जिन प्रश्नों को उठाने से संविधान मजबूत होता है उसे भयमुक्त होकर जरूर पूछा जाना चाहिए। हमारी परंपरा हमें निर्भय बनाती है। ज्ञान हमारे भय को समाप्त करता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब सवाल पूछना अपराध होता है तो लोकतंत्र की जड़ें खोखली होने लगती हैं। उन्होंने कहा कि आज स्व. देवीप्रसाद चौबे की स्मृति में यह आयोजन हो रहा है। वे सही मायने में छत्तीसगढिय़ा नेता थे। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार तुषार कांति बोस को जूरी ने वसुंध्रा सम्मान से सम्मानित किया। इस मौके पर श्री तुषार कांति बोस ने भी अपना संबोधन दिया। कार्यक्रम में कृषि मंत्री रवींद्र चौबे, दुर्ग विधायक अरूण वोरा एवं अन्य जनप्रतिनिधि भी उपस्थित थे।
नचिकेता भारतीय प्रश्न परंपरा के शिखर पुरुष
इंडिया टूडे के संपादक अंशुमान तिवारी ने भी अभिव्यक्ति की आजादी के मायने विषय पर अपना संबोधन दिया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र तो कई देशों में है लेकिन अब लोकतंत्र की जो अवधारणा है वो ये है कि क्या इस लोकतंत्र में प्रश्न पूछने की आजादी है। यदि वो प्रश्न सहित है तो जीवंत है यदि प्रश्न रहित है तो कागजी है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति प्रश्नों को स्थान देती है। पूरी व्यवस्था प्रश्न पूछने के अधिकार देती है। इस मायने में नचिकेता भारतीय प्रश्न परंपरा के शिखर पुरुष हैं। उन्होंने अपने समय की सबसे बड़ी संस्थाओं से प्रश्न पूछे। यज्ञा संस्था से प्रश्न पूछा। ऋषि संस्था से प्रश्न पूछा और अंतत: सर्वोच्च सत्ता मृत्यु से प्रश्न पूछा। भारतीय लोकतंत्र को देखें तो संसद क्या है? यह सरकार से प्रश्न पूछने का विराट आयोजन है। उन्होंने कहा कि जब मैं सत्ता कहता हूँ तो यह केवल राजनीतिक सत्ता नहीं है। सत्ता का अर्थ वे सारे लोग हैं जो दूसरों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।
छत्तीसगढ़ पत्रकारिता की संस्कार भूमि
वरिष्ठ पत्रकार रमेश नैयर ने कहा कि छत्तीसगढ़ में निर्भीक पत्रकारिता की परंपरा रही है। बख्शी जी जिन्होंने सरस्वती के संपादक के रूप में दोष पाये जाने पर दिग्गज कवियों की कविताएं भी लौटा दीं। छत्तीसगढ़ पत्रकारिता की संस्कार भूमि है।