रायपुर (छत्तीसगढ़)। बुजुर्ग माता-पिता से दान में मकान लेने के बाद बेटी द्वारा उनका भरण-पोषण तथा देखभाल करने से इंकार किए जाने के मामले में रायपुर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने हस्तक्षेप किया है। जिला सत्र न्यायाधीश अरविंद कुमार वर्मा के निर्देश पर उन्हें हर संभव सहायता पहुंचाने की पहल प्राधिकरण ने प्रारंभ की है। प्राधिकरण की टीम ने पीड़ित दंपति से उनके घर जाकर मुलाकात की और उन्हें नालसा की योजना करूणा के तहत निःशुल्क सेवा प्रदान करने का विश्वास दिलाया।
रायपुर हनुमान नगर के बुजुर्ग दंपति ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को जानकारी दी थी कि उन्होंने अपने मकान को अपनी एक बेटी को इस उद्देश्य से दान दिया था कि वह बुढ़ापे में उनका भरण-पोषण एवं जीवन-यापन करेगी। लेकिन बेटी ने मकान अपने नाम होने के पश्चात् माता-पिता का भरण-पोषण करने से इंकार करते हुए उन्हें दो वक्त की रोटी के लिए भी मोहताज कर दिया। इस पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, रायपुर अध्यक्ष अरविंद कुमार वर्मा ने मामले का त्वरित संज्ञान लेते हुए आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए। जिले में पहली बार छ.ग. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा संचालित योजना ‘‘करूणा” के तहत सहायता प्रदान करने टीम बुजुर्ग दंपत्ति के घर पहुंची। इसमें प्रतिधारक अधिवक्ता सुनीता तोमर, पैरालीगल वालिंटियर देवेन्द्र धीवर तथा कर्मचारी अमित गार्डिया शामिल थे ह
टीम बुजुर्ग दंपत्ति के घर पहुंचकर उनके सारे दस्तावेज निःशुल्क तैयार करने में सहयोग किया और दंपत्ति को यह बताया कि उनकी हर संभव सहायता प्राधिकरण द्वारा निःशुल्क रूप से सुनिश्चित की जाएगी। प्रकरण के संबंध में अरविंद कुमार वर्मा ने कहा कि माता पिता की सेवा करना हर संतान का कर्तव्य है और ऐसे बुजुर्ग माता-पिता के लिए न्याय भी उनकी संतान की तरह अपने कर्तव्य का निर्वहन करता है और कानूनन रूप से हर बुजुर्ग माता-पिता या वरिष्ठजन के अधिकारों की सुरक्षा हेतु जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, प्रतिबद्ध है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, रायपुर सचिव प्रवीण मिश्रा ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ‘करूणा योजना‘ बहुत ही प्रभावशाली एवं लाभकारी है।
इस योजना के तहत वरिष्ठजन प्राधिकरण में फोन के माध्यम से भी सूचना दे सकते है। ऐसे प्रकरण में जिनकी संतान अपने माता-पिता का भरण पोषण नहीं कर रही हैं, प्राधिकरण उसमें समझौता कराकर भरण-पोषण उपलब्ध कराने का प्रयास करता है यदि समझौता सुनिश्चित न हो सके तो भरण-पोषण के विभिन्न कानूनों के माध्यम से त्वरित न्याय प्रदान कराने हेतु निःशुल्क सारे कानूनी कार्यवाही करके प्रकरण न्यायालय में पेश करने में भी प्राधिकरण सहयोग करता है।

