टोक्यो ओलंपिक : भारतीय महिला मुक्केबाज लवलीना ने पक्का किया अपना पदक

भारतीय महिला मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन (69 किग्रा) ने चीनी ताइपे की पूर्व विश्व चैंपियन निएन चिन चेन को 4-1 से हराकर ओलंपिक में अपना पदक पक्का किया। असम के गोलाघाट जिले की रहने वाली लवलीना ओलंपिक में भाग लेने वाली असम की पहली महिला खिलाड़ी हैं। लवलीना मुक्केबाजी में आने से पहले किक बॉक्सिंग करती थीं, जिसमें वो राष्ट्रीय स्तर पर पदक भी जीत चुकी हैं।

लवलीना ने अपनी बड़ी बहनों लीचा और लीमा को देखकर किक बॉक्सिंग करना शुरू किया था। बचपन में लवलीना को काफी संघर्ष का सामना करना पड़ा। ओलंपिक में देश के लिए दूसरा पदक पक्का करने वाली मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन को मुक्केबाजी में लाने का श्रेय बोरो को जाता है। बोरो को लवलीना पर विश्वास था। इसलिए बोरो ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में एक दिन पहले ही कह दिया था, ‘वह आराम से जीतेगी, कोई चिंता की बात नहीं है।’
लवलिना अगर सेमीफाइनल मुकाबला जीत लेती हैं तो वह ओलंपिक में इतिहास रच देंगी। लवलीना से पहले कोई भारतीय मुक्केबाज कांस्य पदक से आगे नहीं बढ़ पाया है। विजेंदर सिंह ने 2008 बीजिंग ओलंपिक में और एमसी मैरीकॉम ने 2012 लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था। बता दें कि लवलिना 2018 और 2019 में हुए विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीत चुकी हैं। इसके अलावा 2018 कॉमनेवल्थ गेम्स में देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं।
यहां से शुरू हुआ था सफर
विश्व चैंपियनशिप में दो बार कांस्य पदक जीतने वाली लवलीना का खेलों के साथ सफर असम के गोलाघाट जिले के बरो मुखिया गांव से शुरू हुआ था। उनकी बड़ी बहनें लीचा और लीमा किक-बॉक्सर हैं और सीमित साधनों के बाद भी उनके माता-पिता बच्चों की उम्मीदों को पूरा करने से कभी पीछे नहीं हटे। बोरो ने कहा, ‘लवलीना के माता-पिता ने उसका पूरा सपोर्ट किया। वे अक्सर मेरे साथ उसके खेल पर चर्चा करते थे और उसके सपनों के लिए कुछ भी करने को तैयार थे।’ लवलीना ने किसी को निराश नहीं किया। हमेशा मुस्कुराती रहने वाली यह मुक्केबाज टोक्यो का टिकट कटाकर असम की पहली महिला ओलंपियन बनीं। उन्होंने इसे पदक में बदल कर और भी यादगार बना दिया। 
ऐसे रखा मुक्केबाजी में कदम
इस 23 साल की खिलाड़ी की जीत को भारतीय महिला मुक्केबाजी में नए अध्याय की तरह देखा जा रहा है। दिग्गज एमसी मैरीकॉम के ओलंपिक से बाहर होने के बाद लवलीना ने अपने करियर के सबसे यादगार पल के साथ भारतीय प्रशंसकों को जश्न मनाने का मौका दिया। बोरो ने कहा, ‘लवलीना में एक अच्छा बॉस्कर बनने की प्रतिभा थी और उसकी शरीर भी मुक्केबाजी के लिए उपयुक्त है। हमने केवल उसका मार्गदर्शन किया। करियर के शुरू में भी उसका शांत दिमाग उनकी सबसे खास बात थी। वह ऐसी नहीं है जो आसानी से हार मान जाए। वह तनाव नहीं लेती है। वह बहुत अनुशासित खिलाड़ी है।’