दुर्ग (छत्तीसगढ़)। अपनी सगी मासूम भतीजी के साथ लगातार गंदा काम करने के आरोपी को न्यायालय द्वारा जिंदगी भर के कारावास से दंडि़त किए जाने का फैसला सुनाया है। यह फैसला विशेष न्यायाधीश शुभ्रा पचौरी की अदालत में सुनाया गया। इस मामले में शर्मनाक यह है कि इस शिकायत को वापस लेने से इंकार करने पर आरोपी के भाई यानि पीडि़त मासूम के पिता ने उसकी मां की हत्या कर दी थी। वहीं अदालत द्वारा शासन व प्रशासन को पीडि़त सहित उसकी भाई बहनों को उचित शिक्षा व सुरक्षा दिलाने की व्यवस्था व एक लाख रु. अंतरिम प्रतिकर राशि प्रदान किए जाने के आदेश का लगभग डेढ़ साल बाद भी पालन नहीं किया गया है। जिस पर अदालत ने नाराजगी जाहिर की है। इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक कमल किशोर वर्मा ने पैरवी की थी।
घटना खुर्सीपार थाना क्षेत्र की है। 22 वर्षीय युवक पर उसकी सगी 9 वर्षीय भतीजी के साथ गंदा काम करने का आरोप लगाया गया था। पीडि़त ने पुलिस को बताया था कि जब वह 7 वर्ष की थी तब उसके साथ उसके चाचा ने पहली बार शारीरिक गंदी हरकत की थी। जिसके बाद यह सिलसिला चलता रहा। शिकायत से कुछ लगभग एक माह पूर्व आरोपी ने बाथरुम में ले जाकर उसके साथ फिर से गंदी हरकत की थी। जिसकी शिकायत पीडि़त की मां ने पुलिस में दर्ज कराई थी।
ऐसे खुला मामला
शिकायत से लगभग एक साल पहले पीडि़त मासूम की मां अपने अन्य बच्चों के साथ पति से अलग रायपुर में अपने मायके में रहने लगी थी। 16 मई 2018 को उसका पति व देवर रायपुर आए और पीडि़ता को दुर्ग चलने बोलें। जिस पर पीडि़ता ने उनके साथ जाने से इंकार कर दिया। इसके बाद उसने बताया कि होली पर उसका चाचा पीडि़ता को खुर्सीपार ले गया था और बाथरुम में उसके साथ गंदा काम किया था। उसने यह भी बताया कि इस हरकत से पहले चाचा ने उसके साथ घर में सूनेपन का फायदा उठाकर कई बार गंदा हरकत कर चुका है। जिसके बाद पीडि़त की मां ने खुर्सीपार थाना में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत के आधार पर पुलिस ने अपराध पंजीबद्ध कर आरोपी चाचा को 18 मई 2018 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
शिकायत से नाराज पिता ने की पत्नी की हत्या
पीडि़ता की मां द्वारा की गई शिकायत से आरोपी का भाई यानि पीडि़ता का पिता नाराज था और रायपुर में रह रहीं पत्नी पर प्रकरण को वापस लेने के लिए दबाव बना रहा था। जिससे पत्नी ने इंकार कर दिया था। इसी विवाद को लेकर आरोपी के भाई ने अपनी पत्नी की 29 सितंबर 2019 की रात उसकी गला घोंटकर हत्या कर दी थी। इस मामले में आरोपी का भाई भी रायपुर जेल में निरूद्ध है।
अदालत के आदेश का पालन नहीं
मां के हत्या के बाद पीडि़ता अपने नाना व नानी के साथ रह रही थी। जो कि भीख मांग कर अपना जीवन यापन करते है। जिसे संज्ञान में लेते हुए अदालत ने पुलिस व प्रशासन को 22 अक्टूबर 2019 को आदेश जारी किया था कि पीडि़त के परिवार को पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जाए। साथ ही संरक्षक नानी के माध्यम से एक लाख रुपए की प्रतिकर राशि शासन से प्रदान कराई जाए और पीडि़त व उसके भाई बहनों को अच्छे स्कूल में प्रवेश दिलाकर शिक्षा की व्यवस्था उपलब्ध कराई जाए। मासिक स्कॉलरशिप भी प्रदान की जाए। इस आदेश के डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी प्रशासन व शासन स्तर पर पीडि़त पक्ष को किसी भी प्रकार की सहायता उपलब्ध नहीं कराई गई है। जिस पर नाराजगी जाहिर करते हुए अदालत ने यह सुविधा पीडि़त पक्ष को अविलंब उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
आरोपा को किया जिंदगी भर के कारावास से दंडि़त
प्रकरण पर विचारण के पश्चात विशेष न्यायाधीश शुभ्रा पचौरी ने आरोपी चाचा को भतीजी के साथ गंदी हरकत करने और उसे धमकाने का दोषी करार दिया। अदालत ने कहा कि अभियुक्त की इस हरकत के पीडि़त व उसके दोनों भाई बहन के सिर से माता पिता का साया उठ गया और वे उचित पालन पोषण व शिक्षा हासिल करने से वंचित हो गए। अदालत ने आरोपी को दफा 376 (2) के पूरे प्राकृत जीवन के लिए कारावास व 50 हजार रु. के अर्थदंड़ तथा दफा 506 के तहत 3 वर्ष के कारावास व 2000 रुपए के अर्थदंड से दंडि़त किए जाने का फैसला सुनाया है। सभी सजाएं साथ साथ चलेंगी।

