दुर्ग (छत्तीसगढ़)। पहली पत्नी के रहते दुसरी युवती से प्रेम विवाह कर उसे जिंदा जलाकर मार डालने आरोपी पति को उम्रकैद से दंडित किया गया है। आरोपी ने जिस स्थान पर विवाह किया था, उसी स्थान पर दो वर्ष बाद जिंदा जलाकर मार डाला था। इस मामले में न्यायाधीश रामजीवन देवांगन ने आरोपी पति को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास से दंडि़त किए जाने का फैसला सुनाया है। वहीं मामले के तीन अन्य आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया।
मामला धमधा थाना क्षेत्र का है। ग्राम खपरी निवासी पहले से विवाहित हेमचंद उर्फ हेमू साहू का घटना से लगभग दो वर्ष पूर्व ग्राम करेली स्थित टमाटर बाड़ी में काम करने वाली युवती मेनका साहू से परिचय हुआ था, जिसके बाद दोनों ने गांव के केलाबाड़ी में प्रेम विवाह कर लिया था। विवाह के बाद दोनों पत्नियों के साथ वह ग्राम करेली में एक ही घर में रह रहा था। सौतनों में प्राय: विवाद होने लगा था, जिससे वह परेशान था। 23 दिसंबर 2018 को इसी विवाद के चलते हेमचंद ने मेनका की डंडे से पिटाई कर दी थी। जिसके बाद अपने भाई टीकाराम साहू (37 वर्ष), मनीष साहू (24 वर्ष) तथा बहनोई शिवकुमार साहू (38 वर्ष) के साथ मेनका को बोलेरों क्र. सीजी 04-एलके-0610 में बैठाकर करेली गांव पहुंचा। जहां केलाबाड़ी में ही मेनका पर पैट्रोल डालकर जिंदा जला दिया। जिसके बाद शव को कंबल में लपेट कर बोलेरो से नागपुर रोड़ पर स्थित सालेव्हारा में रामगोलाई घाट के पास शव को खाई में फेक दिया। खाई से लावारिस हालत में शव को सालेव्हारा पुलिस ने दूसरे दिन 24 दिसंबर 2018 को बरामद किया।
दो माह बाद हुई शव की शिनाख्त
23 दिसंबर 2018 से 5 जनवरी 2019 तक सौतन मेनका व पति हेमचंद के वापस घर नहीं लौटने पर पहली पत्नी मिंता साहू ने गुशुदगी की शिकायत धमधा पुलिस से की थी। जिसके बाद पतासाजी किए जाने पर सालेव्हारा पुलिस द्वारा अज्ञात महिला का शव बरामद किए जाने की जानकारी पुलिस को मिली। इस दरम्यान पुलिस ने महिला के वारिसान नहीं मिलने शव को लावारिस घोषित कर दफन कर दिया था। जिसके बाद शव का उत्खनन करा गया, परिजनों ने गुमशुदगी के लगभग 2 माह बाद 20 फरवरी 2019 को शव के मेनका का होने की पुष्टि की शिनाख्त की।
पुलिस किया था हत्या व साक्ष्य छुपाने का जुर्म दर्ज
शव की शिनाख्ती पश्चात धमधा पुलिस ने पति हेमचंद साहू के साथ भाई टीकाराम, मनीष तथा बहनोई शिवकुमार साहू के खिलाफ हत्या (दफा 302) तथा साक्ष्य छुपाने (201) के तहत अपराध पंजीबद्ध किया था। प्रकरण को विचारण के लिए न्यायालय के समक्ष पेश किया था।
पति को उम्रकैद, तीन आरोपी दोषमुक्त
प्रकरण पर विचारण न्यायाधीश रामजीवन देवांगन का अदालत में किया गया। विचारण पश्चात न्यायाधीश ने आभियुक्त पति हेमचंद साहू को पत्नी की जिंदा जला कर हत्या करने और साक्ष्य छुपाने का दोषी पाया। वहीं दोनों भाईयों व बहनोई को प्रकरण में संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया। हेमचंद साहू को दफा 302 के तहत आजीवन कारावास व 1000 रु. अर्थदंड़ तथा दफा 201 के तहत 3 वर्ष कारावास व 1000 रु. के अर्थंदंड से दंडि़त किए जाने का फैसला सुनाया है।