पीजी में रह रही नाबालिग के साथ संचालक ने की बदनीयती : अदालत ने सुनाई 5 साल कैद की सजा

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। पेइंग गेस्ट (पीजी) में रहकर पढ़ाई कर रही छात्रा के साथ बदनीयती किए जाने के मामले में अदालत ने पीजी हॉस्टल के संचालक को 5 साल के कारावास की सजा से दंडि़त किए जाने का फैसला सुनाया है। अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि एक स्त्री के लिए किसी भी व्यक्ति से यह अपेक्षा नहीं की जाती है कि वह अपने शिष्टाचार को विस्मृत करें और स्त्री के प्रति प्रतिकूल शिष्टाचार का व्यवहार करे। यह फैसला विशेष न्यायाधीश अविनाश के. त्रिपाठी की अदालत में आज सोमवार को सुनाया गया। अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक संतोष कसार ने पैरवी की थी।
मामला भिलाई सेक्टर 10 जोनल मार्केट स्थित पीजी हॉस्टल से संबंधित है। हॉस्टल में पीएमटी, एआईआईएमएच प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग करने नाबालिग छात्रा पेइंग गेस्ट के रुप में रह रही थी। घटना दिनांक 5 जनवरी 2016 की रात छात्रा पढ़ाई कर रही थी। लगभग 12 बजे हॉस्टल के संचालक कमल कुमार जैन (52 वर्ष) ने उसे अपने कमरे में टीव्ही देखने के बहाने बुलाया। परिवार को कोई भी सदस्य वहां मौजूद नहीं था। छात्रा कमरे में बैठ कर टीव्ही देख रही थी, इसी दौरान कमल ने उसे पलंग पर अपने पास बुलाया और उसे किस किया। जिसके बाद उसका हाथ पकड़कर अपने प्राइवेट पार्ट पर रखवाने का प्रयास करने लगा। छात्रा द्वारा विरोध किए जाने पर संचालक ने कमरे को अंदर से बंद कर दिया और उसे पलंग पर लिटा निवस्त्र करने का प्रयास करने लगा। इसी दौरान छात्रा के विभिन्न संवेदनशील अंगों को भी छुआ और अपना प्राइवेट पार्ट उसे दिखाने लगा। किसी प्रकार छात्रा उसके चुंगुल से छूट कर भागने में सफल रही। जिसके बाद घटना की जानकारी अपने परिजनों को दी और दूसरे दिन पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई। जिसके आधार पर पुलिस ने दफा 354 (ख) व पोस्कों एक्ट की धारा 3(ग), 5 (घ) के तहत अपराध पंजीबद्ध कर प्रकरण को विचारण के लिए अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया था।
प्रकरण पर विचारण विशेष न्यायाधीश अविनाश के. त्रिपाठी की अदालत में किया गया। इस मामले में अभियोजन पक्ष यह प्रमाणित करने में असफल रहा कि पीडि़ता को अभियुक्त ने कमरे के अंदर बंद कर उसे सदोष परिरोध कारित किया था। प्रकरण पर विचारण पश्चात विशेष न्यायाधीश अविनाश के. त्रिपाठी ने पीडि़त छात्रा के नाबालिग होने के मद्देनजर अभियुक्त कमल कुमार जैन के बालकों का संरक्षण अधिनियम (पोक्सों) की धारा 10 के तहत दोषी करार दिया। अभियुक्त को 5 वर्ष के सश्रम कारावास व 500 रु. के अर्थदंड से दंडि़त किए जाने का फैसला सुनाया गया है।