रायपुर (छत्तीसगढ़)। राज्य शासन द्वारा निर्भीक एवं निष्पक्ष पत्रकारिता में मदद के लिए छत्तीसगढ़ पत्रकार सुरक्षा कानून तैयार करवाया जा रहा है। इसके लिए उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायधीश न्यायमूर्ति आफताब आलम की अध्यक्षता में समिति बनाई गई है। उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायधीश, उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता, वरिष्ठ पत्रकार और महाधिवक्ता की 12 सदस्यीय समिति ने कानून का प्रथम प्रारूप तैयार कर माह नवम्बर-2019 में राज्य के पत्रकारों, पत्रकार संगठनों और आम नागरिकों की राय को शामिल कर इसका द्वितीय प्रारूप तैयार किया है। अभी इसके द्वितीय प्रारूप पर ऑनलाइन सुझाव प्राप्त किए जा रहे हैं जिसके आधार पर इस कानून को अंतिम रूप दिया जाएगा। पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने की दिशा में तेजी से काम किया जा रहा है।
प्रदेश सरकार पत्रकारों के लिए लगातार बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करा रही है। जनसंपर्क विभाग द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं की पात्रता एवं प्रावधानों में संशोधन कर ज्यादा से ज्यादा पत्रकारों को इनके दायरे में लाया जा रहा है। प्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने की प्रक्रिया भी अंतिम चरण में है। सरकार ने पत्रकारों के कल्याण के लिए पिछले वर्ष ही वरिष्ठ मीडियाकर्मी सम्मान निधि को पांच हजार रूपए से बढ़ाकर दस हजार रूपए प्रति माह किया है। अधिमान्यता नियमों में संशोधन कर विकासखंड स्तर के पत्रकारों के लिए भी अधिमान्यता का प्रावधान किया गया है। पत्रकार कल्याण कोष से जरूरतमंद पत्रकारों को आर्थिक सहायता की सीमा को 50 हजार रूपए से बढ़ाकर दो लाख रूपए किया गया है। राज्य शासन के श्रम विभाग ने पत्रकारों के हित में उनकी सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष से बढ़ाकर 62 वर्ष करने का आदेश जारी किया है।
प्रदेश में कार्यरत पत्रकारों को श्रमजीवी पत्रकार के रूप में पहचान देने एवं उनके काम में सहूलियत के लिए साल भर पहले नए अधिमान्यता नियम लागू किए गए हैं। मीडिया के बदलते स्वरूप को देखते हुए टी.वी. चैनलों, वेब-पोर्टल, समाचार पत्रिका और समाचार एजेंसी के पत्रकारों को भी अधिमान्यता देने का प्रावधान किया गया है। मीडिया संस्थानों के लिए अधिमान्यता कोटा करीब-करीब दुगुना कर दिया गया है। नए नियमों के तहत राज्य में पहली बार विकासखंड स्तर के पत्रकारों के लिए भी अधिमान्यता का प्रावधान किया गया है। साथ ही लंबे समय तक इस पेशे में रहे सेवानिवृत्त पत्रकारों के लिए दीर्घकालिक सेवा पत्रकार अधिमान्यता भी शुरू किया गया है। नए अधिमान्यता नियमों के फलस्वरूप वर्तमान में 233 राज्य स्तरीय और 287 जिला स्तरीय अधिमान्य पत्रकार हैं।
पत्रकारों को गंभीर बीमारी के इलाज, वृद्धावस्था में आर्थिक संकट, दैवीय विपत्ति जैसी परिस्थितियों में मदद का दायरा बढ़ाने के लिए पत्रकार कल्याण कोष के नियमों में पिछले वर्ष व्यापक परिवर्तन किए गए हैं। नए नियमों के तहत अब आर्थिक सहायता की सीमा 50 हजार रूपए से बढ़ाकर दो लाख रूपए कर दी गई है। साथ ही दंगों, बाढ़ जैसी विषम परिस्थितियों में समाचार कवरेज के दौरान कैमरा एवं अन्य उपकरणों के नुकसान पर भी आर्थिक मदद का प्रावधान नए नियम में जोड़ा गया है। पिछले दो वर्षों में प्रदेश के 49 पत्रकारों को साढ़े 41 लाख रूपए से अधिक की आर्थिक मदद उपलब्ध कराई गई है।
वरिष्ठ मीडियाकर्मी सम्मान निधि की राशि दुगुनी करने के साथ ही इसके दायरे में अधिक से अधिक पत्रकारों को लाने के लिए पात्रता की शर्तें शिथिल की गई हैं। योजना के तहत पहले जहां हर माह पांच हजार रूपए दिए जाते थे, वहीं अब इसे बढ़ाकर दस हजार रूपए कर दिया गया है। पात्रता के लिए आयु सीमा भी 62 वर्ष से घटाकर 60 वर्ष की गई है। पहले इस योजना में शामिल पत्रकारों की पात्रता की हर पांच वर्ष में समीक्षा की जाती थी। नए नियमों के तहत समीक्षा का प्रावधान समाप्त करते हुए अब इसे आजीवन कर दिया गया है। योजना में शामिल पत्रकारों को अक्टूबर-2019 से हर महीने दस हजार रूपए की सम्मान निधि दी जा रही है। वरिष्ठ मीडियाकर्मी सम्मान निधि योजना के फलस्वरूप दो वर्ष पूर्व जहां आठ वरिष्ठ पत्रकारों को योजना का लाभ मिल रहा था, अब यह संख्या 23 हो गई है।