महा कुंभ मेला: आस्था और अर्थव्यवस्था का संगम

प्रयागराज में पौष पूर्णिमा के शुभ अवसर पर महा कुंभ मेले का शुभारंभ ‘शाही स्नान’ के साथ हुआ। यह विश्व का सबसे बड़ा मानव सभा पर्व है, जिसमें लाखों श्रद्धालु और साधु-संत पवित्र गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान कर अपनी आत्मा की शुद्धि का अवसर प्राप्त करते हैं।

45 दिनों तक चलने वाला यह धार्मिक आयोजन न केवल आध्यात्मिक उन्नति का अनोखा अवसर है, बल्कि यह भारत की अर्थव्यवस्था के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। कुंभ मेले में जुटने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं और धार्मिक गुरुओं के कारण देश के उपभोक्ता बाजार को भी एक बड़ा बूस्ट मिलता है।

भारत की अर्थव्यवस्था में उपभोग का योगदान लगभग 60% है, और पिछले तीन दशकों में देश की आर्थिक प्रगति का प्रमुख आधार उपभोग वृद्धि रही है। अनुमान है कि अगले कुछ वर्षों में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार बन जाएगा।

महा कुंभ मेले के दौरान प्रयागराज में 40 करोड़ से अधिक लोगों के आगमन की संभावना है। यह संख्या भारत की कुल जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा है। प्रशासन का मानना है कि इस मेले के दौरान प्रतिदिन औसतन 90 लाख लोग प्रयागराज पहुंच सकते हैं।

मेला आयोजन का कुल बजट लगभग 12,670 करोड़ रुपये है, जिसमें राज्य और केंद्र सरकार की भागीदारी है। इस आयोजन के माध्यम से लगभग 2 लाख करोड़ रुपये का व्यापार उत्पन्न होने की उम्मीद है।

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