पंजाब के किसान इस हफ्ते न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर चर्चा की मांग को लेकर दिल्ली मार्च करेंगे। किसानों की यह रैली भारतीय किसान परिषद (बीकेपी) के नेतृत्व में शुरू हुई। किसानों ने रविवार को महा माया फ्लाईओवर, नोएडा से दिल्ली की ओर मार्च शुरू किया। इस दौरान दिल्ली की ओर जाने वाली सड़कों पर भारी जाम देखा गया।
संपर्क मार्गों पर सुरक्षा बलों ने बैरिकेड्स लगा दिए हैं। किसान संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के बैनर तले पिछले 293 दिनों से पंजाब और हरियाणा के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं।
किसान मजदूर मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंधेर ने बताया कि केंद्र सरकार ने 18 फरवरी के बाद किसानों से किसी तरह की बातचीत नहीं की। उन्होंने भाजपा सरकार पर किसानों की मांगों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाते हुए एमएसपी पर कानूनी गारंटी, कर्ज माफी, किसानों और मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में बढ़ोतरी रोकने और लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय की मांग की है।
18 फरवरी को किसान प्रतिनिधियों और केंद्रीय मंत्रियों – अर्जुन मुंडा, पीयूष गोयल और नित्यानंद राय – के बीच बातचीत हुई थी। हालांकि, किसानों ने केंद्र द्वारा 5 वर्षों तक दाल, मक्का और कपास को एमएसपी पर खरीदने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया।
किसान नेता गुरमनीत सिंह मंगत ने बताया कि 6 दिसंबर से बड़े पैमाने पर किसान दिल्ली की ओर मार्च करेंगे। अन्य राज्यों जैसे केरल, उत्तराखंड और तमिलनाडु के किसान भी अपने-अपने राज्य विधानसभा की ओर मार्च करेंगे।
किसान रात को सड़कों पर रुकेंगे और मार्च सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक जारी रहेगा। किसानों ने 2020-21 के पिछले आंदोलन में मारे गए किसानों के परिजनों के लिए मुआवजे और भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करने की मांग भी उठाई है।