विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) का भारतीय बाजार में वापसी: अमेरिकी फेडरल रिजर्व की दरों में कटौती का असर

नई दिल्ली: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने इस महीने भारतीय बाजारों में जोरदार वापसी की है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में 50 बेसिस पॉइंट्स की कटौती के बाद FPIs ने भारतीय शेयर बाजारों में निवेश बढ़ाया। इस महीने के आंकड़ों के अनुसार, FPIs ने भारतीय शेयरों में ₹57,359 करोड़ का निवेश किया, जिससे भारतीय बाजारों में स्थिरता आई है।

FPIs ने जून और जुलाई में लगातार निवेश किया था, जब चुनावों के बाद बाजार में स्थिरता लौटी। हालांकि, वित्त वर्ष 2024-25 की शुरुआत में उन्होंने निवेश की गति थोड़ी धीमी कर दी थी। लेकिन अब सितंबर में फिर से निवेश तेज हो गया है। नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) के आंकड़ों के अनुसार, 27 सितंबर तक कुल निवेश ₹91,702 करोड़ था, जिसमें कर्ज, हाइब्रिड, कर्ज-VRR और शेयर बाजारों में निवेश शामिल है। इस महीने कर्ज बाजार में FPIs ने ₹8,543 करोड़ का निवेश किया।

विशेषज्ञों का मानना है कि सितंबर में भारतीय शेयर बाजारों में सबसे अधिक FPI निवेश हुआ है, जो इस साल का उच्चतम स्तर है। सितंबर के अंत तक कुल निवेश नौ महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। गोजिट फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार, डॉ. वी. के. विजयकुमार ने बताया कि इस महीने विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने ₹57,359 करोड़ का निवेश किया, जिसमें एक्सचेंजों के जरिए ₹46,480 करोड़ का निवेश शामिल है।

डॉ. वी. के. विजयकुमार के अनुसार, 2024 में अब तक FIIs का कुल निवेश ₹1,00,245 करोड़ हो चुका है। इस निवेश ने भारतीय रुपये (INR) की स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने यह भी कहा कि 18 सितंबर को अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती और उनकी नीतियों में नरमी उभरते बाजारों, जैसे भारत, में निरंतर निवेश प्रवाह को बढ़ावा दे सकती है।

यह साफ है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की दरों में कटौती ने वैश्विक निवेशकों को भारतीय बाजारों की ओर आकर्षित किया है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है। FPIs का यह निवेश भारतीय बाजारों के लिए एक सकारात्मक संकेत है, जो आने वाले महीनों में बाजार की स्थिरता और विकास को और बढ़ा सकता है।